
प्रयागराज । माफिया डॉन अतीक अहमद और अशरफ हत्याकांड ने उत्तर प्रदेश पुलिस के सामने कई प्रकार की चुनौतियों को खड़ा कर दिया है। अतीक-अशरफ की हत्या के बाद से घटना को लोग अपने-अपने नजरिए से देख रहे हैं। पुलिस कस्टडी में हत्या की वारदात को किस प्रकार अंजाम दे दिया गया? यह सवाल सबसे बड़ा है। आखिर कैसे तीन अपराधियों ने इतनी बड़ी साजिश रची और हत्याकांड को मीडिया के कैमरों के सामने अंजाम दिया। मामले में अभी तक पुलिस की ओर से तीनों आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ नहीं शुरू हो गई है।
यूपी पुलिस का इंटेलिजेंस पिछले दो माह में दो बार फेल हुआ है। अतीक-अशरफ की 15 अप्रैल को हत्या के 51 दिन पहले 24 फरवरी को उमेश पाल की सरेआम बीच सड़क पर हत्या हुई थी। हत्यारों ने पूरी प्लानिंग के साथ इस वारदात को अंजाम दिया।
अतीक हत्याकांड के तुरंत बाद पुलिस ने तीनों हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया। लवलेश तिवारी, मोहित उर्फ सनी सिंह और अरुण मौर्य को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा। पहले नैनी जेल में बंद किया गया। इसके बाद सुरक्षा को ध्यान में रखकर तीनों का प्रतापगढ़ जेल ट्रांसफर कर दिया गया। वहीं उमेश पाल हत्याकांड में आरोपियों में से चार शूटरों का एनकाउंटर हो चुका है। अभी भी गुड्डू मुस्लिम और साबिर जैसे शूटर फरार चल रहे हैं। वहीं, हत्याकांड की साजिश रचने और शूटरों को पनाह देने वाले अतीक परिवार के लोग फरार हैं।
कई चीजें हत्याकांड मामले में सामने आ रही है। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल अभी भी बना हुआ है। वह ये कि तीनों ने अतीक और अशरफ की हत्या क्यों की? यह सवाल अब हर कोई पूछ रहा है। प्रयागराज कमिश्नर की ओर से अतीक हत्याकांड में एक एसआईटी का गठन किया गया है। वहीं, एक एसआईटी डीजीपी आरके विश्वकर्मा की ओर से प्रयागराज कमिश्नर के नेतृत्व में गठित की गई है। एसआईटी की ओर से छापेमारी शुरू कर दी गई है। तीनों हत्यारों के मददगार कौन थे? तीनों से पूछताछ में यह मामला सामने आने की बात कही जा रही है।
तीन सदस्यीय जांच आयोग में पूर्व जज त्रिपाठी शामिल
प्रयागराज में गोली मारकर माफिया अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच आयोग गठित किया गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गृह विभाग ने जो न्यायिक आयोग गठित किया है, उसमें दो पूर्व जज और एक पूर्व आईपीएस अधिकारी शामिल हैं। इस आयोग में इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व जज अरविंद कुमार त्रिपाठी भी शामिल हैं। त्रिपाठी ने ग्वालियर के जीवाजी यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री 1973 में हासिल की है। साल 1974 में उन्होंने वकालत की प्रैक्टिस शुरू की। साल 1978 में वह पीसीएस-जे में चुने गए। 1978 से लेकर 1996 तक वह उच्च न्यायिक सेवा में रहे और साल 2007 में जिला-सत्र न्यायाधीश के रूप में उनका प्रमोशन हुआ। त्रिपाठी 17 अप्रैल 2012 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज के रूप में प्रमोट किए गए। साल 2013 में उन्हें हाई कोर्ट में स्थायी जज बनाया गया।