ट्रस्ट के पदाधिकारी और मूर्ति कला के विशेषज्ञ मूर्तिकारों औऱ चित्रकारों के बीच मंथन जारी
इलाहाबाद । प्रभु श्री रामलला की अचल मूर्ति के निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी और मूर्ति कला के विशेषज्ञ नामचीन मूर्तिकारों औऱ चित्रकारों के बीच मंथन किया गया। फिलहाल अभी तक आए किसी भी पत्थर पर मूर्ति निर्माण के लिए आपसी सहमति नहीं बन सकी है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी के अनुसार रामलला के अचल विग्रह निर्माण के लिए पत्थरों पर मंथन का दौर जारी है। कर्नाटक से आये पत्थरों में स्काई ब्लू दिख रहा है, मूर्ति विशेषज्ञों को डर है कि आगे चलकर पत्थर पूरा काला हो सकता है। अभी एक माह का समय शेष है, एक माह के अंदर आए पत्थरों पर विचार किया जाएगा। अभी उड़ीसा से भी पत्थर आना बाकी है, अभी तक कुल 11 पत्थर रामनगरी पहुंचे हैं। पत्थरों पर ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने मूर्ति कला के विशेषज्ञों के साथ स्थलीय निरीक्षण कर पत्थरों की गुणवत्ता और आयु को लेकर जानकारी ली है।
खबरों के मुताबिक नीलांबुज श्याम रंग वाले 51 इंच के भगवान रामलला की खड़ी मूर्ति ही राम मंदिर के मूल गर्भगृह में विराजमान होगी। अप्रैल से मूर्ति को तैयार करने का कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा, जिसके लिए कर्नाटक के मैसूर से आई शिला पर सहमति बन गई है, फिलहाल अभी फैसले पर ट्रस्ट की अंतिम मुहर लगना बाकी है।महाराष्ट्र के शिल्पकार वासुदेव कामत ने बताया कि रामलला की मूर्ति खड़ी ही बनाई जाएगी। इस मूर्ति में रामलला धनुष तीर लिए हुए हैं। 5 वर्ष की आयु वाले रामलला की मूर्ति 51 इंच की होगी। गर्भगृह में रामलला पैडिस्टल के ऊपर 10 इंच का एक कमल दल पर होंगे। इस चित्र में कुछ प्रभाव और उसकी मजबूती को लेकर बदलाव किए जाने हैं। इसके साथ ही बाद में जो मुकुट और गहने डाले जाने हैं। उसके लिए भी व्यवस्था इस मूर्ति में करनी होगी। इसके लिए सभी शिल्पकारों ने अपने मत दिए हैं।