मोहम्मद अजीज
भारतीय राजनीति में ऐसे बहुत कम व्यक्तित्व रहे हैं जो सत्ता में रहे बिना भी जनता के बीच समान रूप से लोकप्रिय रहे हो वैसे ही विशिष्ट छवि वाले राजनीतिज्ञों में स्वर्गीय माधवराव सिंधिया जी का नाम लिया जा सकता है जिन्होंने राजनीतिक जीवन को राजनीतिक मापदंडों आदर्शों एवं नैतिकता के बंधनों में बंधकर व्यतीत किया राजनीति उनके लिए व्यवसाय नहीं वरन जन सेवा करने का माध्यम मात्र थी वे मूल्यों की राजनीति में विश्वास रखने वाले राजनीतिक थे इस दृष्टिकोण से माधवराव पटेल नेहरू आदि नेताओं की कोटी के राजनीतिक थे माधवराव सिंधिया जी का जन्म 10 मार्च 1945 को मुंबई में हुआ था ग्वालियर में सिंधिया स्कूल से लेकर ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में उनकी शिक्षा हुई वर्ष 1971 में जनसंघ के टिकट पर गुना से लोकसभा चुनाव जीते तब से लेकर 1999 की तेरहवीं लोकसभा चुनाव तक लगातार 9 बार संसद में पहुंचते रहे अपने वैचारिक मतभेदों के चलते कुछ वर्षों के भीतर ही उन्होंने जनसंघ त्यागकर कांग्रेस में प्रवेश किया और अपने मृत्यु पर्यंत तक वे कांग्रेस के सिद्धांतों एवं आदर्शों की डोर से बधे रहे 1996 में गलत रूप से हवाला कांड में नाम आ जाने के कारण मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस का गठन कर इसी दल के बैनर तले चुनाव लड़ा परंतु कांग्रेस के सिद्धांतों से दूर नहीं हुए अपनी निर्दोषिता साबित करने के लिए उन्होंने जनता की अदालत में जाने का निश्चय किया था क्योंकि प्रजातंत्र में तो जनता जनार्दन ही अदालत होती है जनता ने उन्हें लाखों मतों के अंतर से विजयी बनाकर निर्दोष होने का प्रमाण पत्र दे दिया बाद में न्यायालय ने भी निर्दोष घोषित किया
अपनी माता राजमाता सिंधिया से वैचारिक मतभेद के चलते मां बेटे के रास्ते अलग होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी मातृभूमि में लेश मात्र भी कमी नहीं आने दी जब भी पत्रकारों ने माता से मतभेदों के बारे में पूछा उन्होंने गंभीरता पूर्वक इस मुद्दे पर बोलने से इंकार कर दिया अपनी मां की राजनीतिक दर्शन एवं चिंतन से उनकी असहमति सर्वविदित थी एक पुत्र का अपनी मां से यह अलगाव उन्हें जीवन पर्यंत कचोटता रहा इस पर भी उन्होंने अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता को तिलांजलि नहीं दी आज जब वैचारिक निष्ठायें परिधान की तरह बदली जाती हैं सिंधिया जी का वेचारिक समर्पण व प्रतिबद्धता उनकी महानता की सशक्तता सदघोष करता है धर्मनिरपेक्ष एवं सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करने के लिए वे जीवन पर्यंत लड़ते रहे उनका यह दृढ़ विश्वास था कि भारत जैसे बहुधर्मी बहुभाषी राष्ट्र में हम वर्ग विशेष को प्रोत्साहन एवं समर्थन देकर देश की एकता अखंडता को अक्षुण्य नहीं कर सकते सांप्रदायिकता के मुद्दे पर उन्होंने बेलाग अपना मंतव्य प्रकट किया जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें कई बार राजनीतिक रूप से दिक्कतों का सामना करना पड़ा पर इन कट्टरपंथी ताकतों के सामने उन्होंने कभी हार मानकर अपनी प्रतिबद्धता को नहीं छोड़ा सामाजिक समरसता और सांप्रदायिकता उनकी सैद्धांतिक निष्ठा में सर्वोपरि थे सिंधिया जी की यह दृढ़ मान्यता थी कि अच्छा शासन तभी संभव है जब सरकार मूल्य आधारित एवं जनता हित साधक दृष्टिकोण रखकर काम करने वाली हो सिंधिया जी चाहते थे कि भारत अतीत की सारी अच्छाइयों का अनुसरण करें और भविष्य की तरफ अग्रसर रहे ऐसा समाज जो अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो परंतु अपने कर्तव्य निर्वहन में पीछे ना हटे वे भारत में समृद्ध एवं सामाजिक संघर्ष से मुक्त समरसता पूर्ण समाज की स्थापना करना चाहते थे सिंधिया जी एक कुशल व परिपक्व राजनीतिक होने के साथ-साथ एक कुशल प्रशासक व उच्च कोटि के प्रबंध करता भी थे वे जिस भी विभाग के मंत्री रहे उस विभाग का कायाकल्प किया वे एक गतिमान व ऊर्जावान राजनेता थे वे अपने समय से कुछ और अधिक तेज गति से चलते थे शिथिलता या ढीलापन उन्हें असहाय था चुस्त दुरुस्त समय के पाबंद सिंधिया जी राजनीति के मैदान में हो या खेल के मैदान में अपनी उपस्थिति से हलचल पैदा करने वाले गौरवशाली व्यक्ति थे उन्होंने अपने संपूर्ण राजनीतिक जीवन में कभी भी पद के लोभ में जोड़-तोड़ की राजनीति नहीं कि श्री सिंधिया ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि मुझे काम करने के लिए पद की आवश्यकता महसूस नहीं होती है और किसी पद का आकांक्षी नहीं हूं राजपरिवार में जन्म लेने के बावजूद वे अपने व्यक्तित्व में कभी सामंतीपन नहीं झलकने दिया वे आम जनता के सुख-दुख में हमेशा भागीदार रहे और उनकी अजेयता के पीछे जनता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता ही प्रमुख रूप से जिम्मेदार थी वे एक महान देशभक्त थे 1962 में भारत पर चीन का आक्रमण होने पर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्ण को पत्र लिखकर आग्रह किया कि संकट की इस घड़ी में मैं राष्ट्र के लिए अपनी आवश्यक सेवाएं देना चाहता हूं तब उनकी उम्र मात्र 17 वर्ष की थी डॉक्टर राधाकृष्ण ने इस पहल पर आशीर्वाद भेजा तथा पढ़ाई जारी रखने की सलाह दी सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों ही तरह के दलों के नेताओं से सिंधिया जी के संबंध हमेशा मधुर रहे प्रतिपक्ष के नेताओं से व्यक्तिगत संबंधों को निभाने में उनकी क्षमता अद्भुत थी रचनात्मक एवं मूल्यपरक राजनीति के बाहक थे राजनीति के साथ कला संगीत और खेल के प्रति गहरा लगाव होने के कारण समय के अनुरूप धैर्य और संयम रखने की अद्भुत क्षमता उनके व्यक्तित्व में देखने को मिलती थी श्री राजीव गांधी की सरकार में रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने भारत में रेलों के विकास के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए शताब्दी ट्रेन चलाकर प्रदेश की राजधानियों को दिल्ली से सीधे जोड़कर अपनी दूरदृष्टि का परिचय दिया था श्री नरसिंह राव मंत्रिमंडल में मानव संसाधन विकास मंत्री रहते हुए शिक्षा के स्तर को सुधारने एवं समाज के गरीब उपेक्षित वर्गों तक शिक्षा पहुंचाने के लिए अथक प्रयास किए साथ ही देश के सभी जिलों में नवोदय विद्यालय खोलने की योजना लागू की विमानन मंत्री के रूप में भी उन्होंने इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया में नागरिक उड्डयन मंत्री रहते हुए दिल्ली में एक विमान दुर्घटना हो जाने पर अपना नैतिक दायित्व स्वीकार करते हुए मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव एवं अन्य शुभचिंतकों ने उनसे अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए बहुत आग्रह किया लेकिन वे अपने निश्चय पर द्रण रहे ऐसा करके उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री की नैतिकता की परंपरा को आगे बढ़ाया वे गंभीर एवं मुद्दे पर आधारित राजनीति के पक्षपाती थे उन्होंने 1984 के लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को शिकस्त देकर सफलता प्राप्त की थी परंतु अपनी लोकप्रियता पर कभी अभिमान नहीं किया और ना ही कभी राजनीतिक बड़बोलेपन का प्रदर्शन किया भारतीय राजनीति में संसद के भीतर और बाहर माधवराव सिंधिया जी की गैरमौजूदगी लंबे समय तक उन सबको व्यथित करती रहेगी जो राजनीति में शुचिता और शालीनता के पक्ष पोषक हैं राजनीति की काली कोठरी में भी साफ स्वच्छ व निर्मल बने रहे हैं यह उनकी बहुत बड़ी सफलता थी देश में राजा महाराजाओं के उन्मूलन को कई दशक हो गए परंतु मध्य भारत में सिंधिया जी का प्रभुत्व जीवन पर्यंत कायम रहा यहां के नागरिक सिंधिया जी को महाराज के संबोधन से ही पुकारते थे ऐसा भावात्मक सम्मान किसी भय या राजनीतिक स्वार्थ के कारण नहीं बल्कि भावनाओं और उनके सीधे संपर्क के कारण था सिंधिया जी अपने क्षेत्र व जनता के दिलों पर राज करते रहे इसका जीवित प्रमाण उनका लगातार चुनाव में रिकॉर्ड मतों से विजई होना रहा है