भगवानपुरा (माधव एक्सप्रेस)।आगामी मार्च महीने की 1 तारीख से गूँजेगी वनाँचल में भगोरिया हाट की गूंज मांदल की थाप पर थिरकेंगे समाजजन । सात दिनी चलने वाले इस भगोरिया हाटबाजार को आदिवासी समुदाय के लोग बड़े उल्लास के साथ मनाते हे । समुदाय के लोग पारपंरिक वेशभूषा में सजकर भोंगर्या हाट में आते हे और बासुरी की धुन मांदल की थाप पर जमकर नाचते हुए आदिवासी संस्कृति की छठा बिखेरते है। वही आदिवासी समुदाय मैं इस पर्व को लेकर पिछले 2 वर्षों से काफी बदलाव देखने में आया है समुदाय के पढ़े-लिखे युवा अधिकारी कर्मचारी जो बड़े-बड़े पद पर रहकर भी भगोरिया पर्व के दौरान छुट्टियां लेकर अपने आदिवासी ग्रह ग्राम में आकर आदिवासी वेशभूषा के साथ हर्षोल्लास के साथ भगोरिया पर्व मनाते हैं और सोशल मीडिया पर अपने प्राकृतिक वेशभूषा के साथ नजर आते हैं समाजजनों ने बताया कि भोंगर्या हाट की तैयारियों को लेकर आदिवासी समुदाय के लोग 15 दिन पहले से तैयारियों में जुट जाते हे और अपने घरो की रंगाई पुताई करने के साथ साथ भोंगर्या हाट में ले जाने के लिए बैलगाड़ी को तैयार कर बेलों को सजाते हे आधुनिकता के इस दोर में भी आदिवासी समुदाय के लोगो को बेलगाड़ी पर सफर करने में बड़ा आनन्द आता हे सोशल मीडिया के जमाने में भी भगोरिया हाट का रंग लोकप्रियता के साथ बड़ जाएगा ।
। वही युवक युवतिया भी विशेष परिधानो में सजकर हाट का लुत्फ उठाते हे साथ ही झूलों के आनन्द के साथ कंकण, खजूर ,मिठी गुड़ की सेव ,सन्तरे, गुड़ की जलेबी, मीठे भजिये, जैसी भगोरिया हाट में सजी दूकानों से खूब खरीदी भी करते हे ।समुदाय के लोग भगोरिया हाट में एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर खुशिया बाटते हे । आदिवासी समुदाय के लिए भोंगर्या हाट उमंग मस्ती लोकसंस्कृति की छठा बिखेरने का उत्सव रहता है जिसमे वे अपनी मदमस्त जिंदगी में भगोरिया हाट की ख़ुशी एक दूसरे से जाहिर करते हे ।
21फ़रवरी से त्यौहारा हाट शुरू हो जायेंगे एवम 01मार्च से भोंगरया हाट ओर 7मार्च को होलीका दहन किया जायेगा।
फिलहाल क्षेत्र के अधिकतर ग्रामीण मजदूरी करने के लिए गुजरात एवं महाराष्ट्र गए हुए हे भगोरिया हाट नजदीक आते ही वे धीरे धीरे अपने घरो को लौट रहे हे ये भगोरिया हाट खत्म होने पर फिर रोजगार की तलाश में वापस चले जाते हैं