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मुंबई । निर्वाचन आयोग ने शिवसेना पार्टी और उसके चुनाव चिन्ह ‘धनुष-तीर’ पर हक को लेकर एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के बीच विवाद पर अपना फैसला सुना दिया है। निर्वाचन आयोग ने शिवसेना और उसके सिंबल को शिंदे गुट के साथ बरकरार रखा है। निर्वाचन आयोग के आदेश के बाद उद्धव ठाकरे को अपने पिता बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित की गई पार्टी गंवानी पड़ी है।
शिवसेना पर अधिकार की लड़ाई में शिंदे गुट की जीत पर अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी प्रतिक्रिया की है। कंगना के एक पुराने ट्वीट को रिट्वीट करते हुए बीइंग ह्यूमर नाम के ट्विटर हैंडल ने लिखा कंगना की भविष्यवाणी सच हुई। उन्हें ऐसे ही क्वीन नहीं कहा जाता। इसके जवाब में कंगना ने लिखा भले ही मैंने किया, लेकिन यह भविष्यवाणी नहीं थी, सिर्फ कॉमन सेंस की बात थी। कंगना का पुराना ट्वीट था जो साधुओं की हत्या और स्त्री का अपमान करे उसका पतन निश्चित है।
अपने इस ट्वीट में कंगना ने हैशटैग के साथ पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह, अनिल देशमुख, उद्धव ठाकरे और संजय राउत के नाम भी लिखे थे। कंगना रनौत के इस जवाब पर ब्रैंड एजेंसी नाम के ट्विटर हैंडल ने रिप्लाई किया, यही आपका पॉजिटिव एटिट्यूड है, वही आपकी सबसे बड़ी ताकत है। क्योंकि वक्त आपके साथ हो या नहीं हो, आप अन्याय को किस्मत समझ स्वीकार नहीं करतीं। ऐसा बहुत कम लोगों में होता है। इसे कभी बदलने मत देना। इस पर कंगना रनौत ने जवाब देते हुए लिखा कुकर्म करने से तो देवताओं के राजा इन्द्र भी स्वर्ग से गिर जाया करते हैं, वह तो सिर्फ एक नेता हैं, जब उसने अन्याय पूर्व मेरा घर तोड़ा था, मैं समझ गई थी, यह शीघ्र ही गिरेगा, देवता अच्छे कर्मों से उठ सकते हैं, लेकिन स्त्री का अपमान करने वाले नीच मनुष्य नहीं, यह अब कभी उठ नहीं पाएगा। आपको बता दें कि गत दो वर्षों के दौरान उद्धव ठाकरे और उनके करीबियों से काफी अदावत रही है। इसकी शुरुआत सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या के बाद हुई थी।
कंगना रनौत ने आरोप लगाया था कि सुशांत ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उनकी हत्या हुई थी और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास अघाड़ी सरकार ने इस केस को दबा दिया। उद्धव सेना पर इस आरोप के बाद बीएमसी ने कंगना रनौत के मुंबई स्थित घर पर बुल्डोजर चलवा दिया था और संजय राउत ने अभिनेत्री पर विवादित टिप्पणी की थी। घर टूटने पर कंगना ने एक वीडियो संदेश जारी कर उद्धव ठाकरे और उनके करीबी नेताओं पर निशाना साधा था।
बीते दो वर्षों के दौरान उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद के साथ पार्टी भी गंवानी पड़ी। शिवसेना में शिंदे गुट की बगावत के बाद एमवीए सरकार गिर गई। शिंदे गुट ने भाजपा के साथ मिलकर महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन किया। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में जेल की हवा खानी पड़ी। संजय राउत भी पात्रा चॉल घोटाले में जेल गए। वहीं, पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को अपना पद गंवाना पड़ा और वह भी जांच का सामना कर रहे हैं।