उज्जैन/ अभ्युदयपुरम जैन गुरुकुल में आयोजित हो रहे प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को जलयात्रा विधान हुआ। इसमें बालिकाओं ने कुएं से जल स्वयं खींचा। यात्रा के रूप में लेकर पूजन पंडाल तक पहुंची। विभिन्न औषधियां डालकर जल के 5 कलश भर स्थापित किए। इसी जल से मुख्य प्रतिष्ठा वाले दिन सभी प्रतिमाओं पर शांतिधारा अभिषेक किया जाएगा। तीर्थ प्रेरक, संस्कार यज्ञ प्रणेता आचार्य देवेश मुक्ति सागर सूरीश्वरजी महाराज और पंन्यास प्रवर अचल मुक्ति सागरजी की निश्रा में मंत्रोच्चार के बीच यह विधान पूर्ण किया। महोत्सव संयोजक मफतलाल संघवी एवं मीडिया प्रभारी डॉ. राहुल कटारिया के अनुसार 23 दिवसीय प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत प्रतिदिन विभिन्न धार्मिक शास्त्रोक्त विधान पूर्ण किए जाएंगे। नूतन जिनालय में मूलनायक प्रभु अभ्युदयपुरम पार्श्वनाथ के साथ प्रभु की 44 अन्य मनोहारी प्रतिमाएं विराजित की जाएंगी। यह प्रतिमा देश के प्रसिद्ध 108 पाश्र्ववनाथ तीर्थ में स्थापित प्रतिमाओं के प्रतिकृति स्वरूप होगी। इन प्रतिमाओं के सम्मुख ही पूजन पंडाल में अनुष्ठान व पूजन आदि हो रहे हैं। रविवार को हुए श्री नाकोड़ा भैरव महापूजन का लाभ भेरूलाल नेमीचंद छाजेड़ परिवार ने लिया। विधि बृजेश श्रीश्रीमाल और जयेश भाई ने पूर्ण कराई। अभ्युदय पुरम में जल विधान के लिए कुएं से जल खिंचती बालिकाएं जवारा रोपण व श्री 108 पार्श्वनाथ महापूजन आज महोत्सव अंतर्गत सोमवार को सुबह 9 बजे पूजन पंडाल में कुंभ और दीपक स्थापना होगी। इसके बाद दोपहर में जवारा रोपण और श्री 108 पार्श्वनाथ महापूजन किया जाएगा।