विश्व मानवाधिकार दिवस पर तिब्बती युवा कांग्रेस ने ली आज प्रेस कॉन्फ्रेंस
उज्जैन/ लगभग 70 वर्षों से तिब्बती शरणार्थी भारत में रह रहे लेकिन उनके द्वारा अब तक भारतीय नागरिकता नहीं ली गई जिसके पीछे मुख्य वजह यह है कि तिब्बती शरणार्थी तिब्बत को चाइना से मुक्त कराने मैं भारत से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
विश्व मानव अधिकार दिवस एवं धर्मगुरु दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार के 10 वर्ष पूर्ण होने तथा 33 वी जयंती के अवसर पर आज उज्जैन में तिब्बती परिवारों के द्वारा वूलन मार्केट परिसर में दलाई लामा की पूजन अर्चन कर उत्साह के साथ आज के दिन को मनाया जा रहा है। इस संबंध में पत्रकारों से रूबरू होते हुए ताशी वांगूं, छावंग,ताशी तोजी ने संयुक्त रूप से बताया कि चाइना 1949 छोटे से क्षेत्र में बसा था लेकिन धीरे-धीरे चाइना ने अपने क्षेत्र का विस्तारीकरण करते हुए अन्य देशों का विलय चीन में कर लिया इसी कड़ी में तिब्बत पर भी चाइना ने 1949 मैं कब्जा किया जिसके फलस्वरूप तिब्बत की आबादी को अपना देश छोड़ना पड़ा करीब डेढ़ लाख शरणार्थी उस वक्त भारत में आकर ठहरे। हालांकि भारत सरकार तिब्बती नागरिकों को भारत की नागरिकता देने के लिए तैयार है लेकिन नागरिकता अधिनियम को ध्यान में रखते हुए तिब्बती शरणार्थी भारत की नागरिकता नहीं ले रहे हैं उसके पीछे मुख्य वजह यह है कि भारत की नागरिकता लेने के बाद वे चाइना से तिब्बत को मुक्त नहीं करा पाएंगे। शरणार्थी तिब्बती परिवार ने भारत की मोदी सरकार से अपील की है कि वह तिब्बत कोचीन से मुक्त कराने के लिए विश्व समुदाय के समक्ष आवाज बुलंद करें और तिब्बत को मुक्त कराएं।