नरेंद्र सलूजा कांग्रेस में रहते हुये बीजेपी के लिये मुखबिरी करने और कांग्रेस की गोपनीय खबरों को बीजेपी तक पहुँचाने के बदले में बीजेपी से हर महीने लंबी रक़म लेते रहे हैं।
बीजेपी में शामिल होकर खुद को बड़ा नेता समझने वाले नरेंद्र सलूजा की बीजेपी से साँठगाँठ बहुत पुरानी है। कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को जैसे ही सलूजा के इस कारनामे की जानकारी मिली तो कमलनाथ ने सलूजा से सभी काम छीन कर नई मीडिया कमेटी का गठन कर लिया था।
इंदौर में सिख कीर्तनकार के विवाद की साजिश भी नरेंद्र सलूजा ने ही रची थी। सलूजा का यह कृत्य जैसे ही पार्टी को पता चला, कमलनाथ ने इसकी जाँच के लिये एक कमेटी का गठन किया था। इस जाँच कमेटी ने भी पूरे विवाद की साज़िश नरेंद्र सलूजा द्वारा रचने की पुष्टि की है।
पिछले माह एक वरिष्ठ पत्रकार ने नरेंद्र सलूजा का बीजेपी के एक राज्य स्तरीय नेता के साथ रूपयों को लेनदेन को लेकर स्टिंग ऑपरेशन भी किया था। वह स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो भी लोगों तक कभी भी पहुँच सकता है।
इसके पूर्व भी नरेन्द्र सलूजा पर लोगों से पैसा वसूली और सरकार की दलाली के करने के गंभीर आरोप लगे थे। कमलनाथ ने तब भी सलूजा को भगा दिया था, तब सलूजा लिखित में माफ़ी माँगकर वापस आ गये थे।
कांग्रेस के एक प्रवक्ता से जब सलूजा के जाने पर प्रतिक्रिया माँगी गई तो उन्होने कहा कि कूड़ा अगर कूड़ेदान में चला गया तो इसमें अचरज कैसा।
बहरहाल सलूजा के बीजेपी में जाने से कांग्रेस में ख़ुशी की लहर है। लोग इसे सफ़ाई अभियान की तरह देख रहे हैं। अब वक्त है कि बीजेपी भी इस तरह के असंतुष्ट विभीषणों से सतर्क और सावधान रहे।