भोपाल।“भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान” के गाय, गोबर, कार्बन और जलवायु विषय पर राष्ट्रीय जागरूकताकार्यक्रम” (22 अगस्त, 2022) की कार्यशाला को वर्चुअली संबोधित करते हुए कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में वैदिक काल से ही गाय का विशेष महत्व रहा है। यह प्रामाणिक रूप से ग्रामीणों, और कृषकों के लिए अपनी आजीविका बनाए रखने के लिए सबसे अच्छा माध्यम रहा है।2019 की पशु जनगणना के अनुसार भारत में मवेशी (गाय) की आबादी: 192.5 मिलियन जबकि कुल गोजातीय आबादी (गाय एवं भैंस) 302.3 मिलियन है जो 1951 के दौरान 198.7 मिलियन थी। पटेल ने कहा कि पशुधन की आबादी में दुनिया के नंबर 1 होने का फायदा उठाते हुए, भारत में गौ आधारित प्राकृतिक की अपार संभावनाएं है।
जैविक और प्राकृतिक खेती स्वच्छ और जहर मुक्त भोजन का उत्पादन करने के लिए खेती में एक सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। इसके लिए आवश्यक मृदा मित्र सूक्ष्म जीवों की संख्या में वृद्धि के मामले में स्थानीय या देशी नस्ल की गाय के गोबर को बेहतर माना जाता है और इसे प्राकृतिक खेती में उपयोग करने पर हमारा फोकस है।
जैविक और प्राकृतिक खेती को उत्साहित करने के लिए केंद्र में मोदी सरकार और प्रदेश में शिवराज सरकार की पहली प्राथमिकता है, और इस दिशा में मध्यप्रदेश सरकार ने जैविक खेती के क्षेत्र में प्रदेश को एक नई ऊंचाई पर पहुँचाया है।
उन्होंने बताया किभारत की कुल 43 लाख हेक्टेयर जैविक खेती में से अकेले मध्य प्रदेश में लगभग 17.31 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती की जा रही है।
प्राकृतिक खेती किसानों को महंगे रसायनों, उर्वरकों और बीजों की खरीद के लिए उधार लिए गए कर्ज की पीड़ा से मुक्ति दिला सकती है, जबकि अपने खेत पर ही उपलब्ध कृषि आदानों के उपयोग से उनकी कृषि आय को बढ़ाया जा सकता है ।
पटेल ने कहा कि प्राकृतिक खेती की वनस्पतियों पर निर्भरता के कारण रसायनों के उपयोग को कम करता है और इस प्रकार स्वास्थ्य तथा पौष्टिक भोजन के साथ कृषि से कार्बन उत्सर्जन को कम करता है। प्राकृतिक खेती का जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने पर दीर्घकालिक प्रभाव है।
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि जैविक और प्राकृतिक खेती की दिशा में भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान का प्रयास सराहनीय रहा है। इन प्राचीन और पारंपरिक कृषि तकनीकों के पीछे के विज्ञान सामने लाने के लिए संस्थान ने जैविक और प्राकृतिक खेती पर दीर्घकालिक प्रयोग शुरू कर महत्तवपूर्ण कदम उठाया है । मै आशा करता हूँ कि आने वाले दिनों में यह संस्थान जैविक खेती की तरह प्रदेश को प्राकृतिक खेती में नंबर 1 बनाकार नई उपलब्धियाँ हासिल करेगा।