निप्र, रतलाम (लखन पवांर)मध्यप्रदेश में नगरीय चुनाव में भाजपा ओर कांग्रेस में काटे की टक्कर रही जहा कई निगम महापौर, अध्यक्ष व पार्षद की लड़ाई में कही भाजपा आगे रही तो कहीं कांग्रेस आगे रही लेकिन रुझान जनता द्वारा समान दृष्टिकोण में रहा,लेकिन लोकतंत्र में जीत चाहे किसी की भी हो सत्ता ओर विपक्ष के नेताओं की ताल मेल और आपसी गुट बाज़ी से राजनीति में नए समीकरण बन जाते है,जैसे मध्यप्रदेश चुनाव की तोड़ मरोड़ राजनीति का खेल कई राज्यों के साथ परिषद् चुनाव में देखा जा रहा है , रतलाम जिले के जावरा नगर पालिका में भी कुछ ऐसा नजारा सामने आया जब कांग्रेस द्वारा जावरा नगर पालिका में जीत हासिल कर 16 सीटों पर कब्जा जमाया तो भाजपा 9 पर सिमट कर रह गई,लेकिन निर्दलीय 5 उम्मीवारों की जीत में 2 उम्मीदवार कांग्रेस समर्थक ओर 2 भाजपा समर्थक सहित 1 अन्य निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल कर कुल 30 पार्षद निगम में दाखिल हुए, लेकिन अध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस ओर भाजपा दोनों ही अपनी दावेदारी के लिए आगे आए ओर तोड़ मरोड़ की रणनीति के साथ चुनाव को साधा गया जहा भाजपा ने भी कुछ विपक्ष पार्षदों को अपनी ओर खींचा लेकिन बात न बनी, परिषद् में जहां कांग्रेस से अध्यक्ष अनम कड़पा ओर उपाध्यक्ष में सुधीर कोचट्टा के नाम पर मुहर लगी तो बीजेपी द्वारा अध्यक्ष रानी सोनी व उपाध्यक्ष रुक्मणि धाकड़ पर मुहर लगाई गई , जब वोटिंग शुरू हुई तो पार्षद मत में कांग्रेस के 16 समर्थको के साथ 2 निर्दलीय समर्थकों सहित भाजपा के 2 ओर पार्षदों ने कांग्रेस को वोट देकर अध्यक्ष अनम कड़पा को 20 वोटों से विजयी बनवा दिया वहीं उपाध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस के कुल 18 समर्थकों के वोट के साथ भाजपा के 4 वोटों का उपहार मिलने पर सुशील कोचट्टा ने 22 वोट से विजयी बन गऐ, वहीं भाजपा से अध्यक्ष रानी सोनी को 10 तो उपाध्यक्ष रुक्मणि धाकड़ को 8 वोट मिले जिससे भाजपा पूर्ण रूप से विपक्ष में जा पहुंची, जहां चुनावी रणनीति से जीत की रणनीति तक भाजपा की हार का कारण किस नेता की रही यह तो कांग्रेस की जीत से साबित हो गया जहा भाजपा में अपने ही नेताओं द्वारा टकराव ओर निर्दलीय पार्टी के उम्मीदवार नेताओ को पार्टी से निष्काषन करना ओर फिर जीत पर पार्टी को जीते हुए उम्मीदवरों को क्षेत्र में भाजपा के कमजोर होने पर वापस लेने से दिखाई देता है, एक ओर भाजपा के पार्षदों द्वारा गुप्त मत किसने किसको दिया ये राज गुप्त ही रह गया वहीं एक ओर कांग्रेस में पूर्व गृह मंत्री रहे भारत सिंह द्वारा कांग्रेस से बागी बने निर्दलीय उम्मीदवार निजाम काजी के जीत के बाद कांग्रेस में शामिल किए जाने पर भी उन्हें एक मत जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है, जहा वे कांग्रेस के दो नेता निज़ाम काजी व वीरेंद्र सिंह सोलंकी को पार्टी से बाहर बता रहे है तो एक ओर सैलाना विधायक व जिला कांग्रेस अध्यक्ष हर्ष विजय गहलोत कमलनाथ व प्रदेश कांग्रेस द्वारा निजाम व सोलंकी को पार्टी में शामिल होने आधिकारिक घोषणा पूर्ण बता रहे है, जिससे कांग्रेस ओर भाजपा दोनों ही पार्टी के नेता हार जीत के बाद भी आपसी गुट बाज़ी से तनाव ग्रस्त नजर आ रहे है।