इंदौर , राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि जीवन की सुरक्षा में चिकित्सा एवं फार्मेसी अनुसंधान की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रौद्योगिकी के समन्वय से चिकित्सा तथा स्वास्थ्य अनुसंधान अधिक प्रभावी, तीव्र और सटीक हुआ है। वे आज इंदौर में भारतीय फार्मेसी स्नातक संघ मध्यप्रदेश राज्य शाखा द्वारा आयोजित द्वितीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के अंतर्गत “फार्मा एवं बायो साइंसेज में एआई संचालित नवाचार: सिकल सेल एनीमिया एवं अन्य रोगों में दवा विकास का नया क्षितिज” विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी सहित भारतीय फार्मेसी स्नातक संघ के पदाधिकारी मौजूद थे। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने अपने संबोधन में सिकल सेल एनीमिया को करोड़ों लोगों को प्रभावित करने वाली गंभीर आनुवंशिक स्वास्थ्य चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि इस रोग से निपटने की सबसे प्रभावी रणनीति समाज की सहभागिता और व्यापक जन-जागरूकता है। अपने 40 वर्षों के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि सिकल सेल एनीमिया रक्त की कमी एवं अनुवांशिकता से संबंधित रोग है, जिसमें रक्त कोशिकाओं के विकृत आकार के कारण शरीर के विभिन्न अवयव प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के कारण बच्चों में पेट व सिर का बड़ा होना, अंगों में सूजन, हड्डियों का विकृत होना, बार-बार बुखार, थकान और बेचैनी जैसे अनेक लक्षण देखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा कि यह रोग माता-पिता से बच्चों में पूर्ण रूप से स्थानांतरित होता है, इसलिए विवाह पूर्व दोनों पक्षों की जाँच अत्यंत आवश्यक है।
पटेल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2023 में शहडोल से प्रारंभ किए गए राष्ट्रीय सिकल सेल मिशन के अंतर्गत देश में अब तक 60 करोड़ से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। मध्यप्रदेश में 1 करोड़ 25 लाख से अधिक लोगों की जाँच हो चुकी है और राज्य डिजिटल कार्ड प्रदान करने में देश में प्रथम स्थान पर है। उन्होंने कहा कि वाहक (ट्रेट) और रोगग्रस्त (डिजीज) दोनों ही श्रेणियों की पहचान आवश्यक है, क्योंकि दोनों वाहक व्यक्तियों के विवाह से सिकल सेल रोगी बच्चों के जन्म की संभावना बढ़ जाती है। इसी उद्देश्य से राज्य सरकार ने अनुसूचित जनजाति बहुल 89 विकासखंडों में विवाह पूर्व सिकल सेल जाँच को बढ़ावा देने के निर्देश दिए हैं।
राज्यपाल पटेल ने स्वस्थ जीवनशैली, नियमित व्यायाम, कम तेलयुक्त आहार, मिलेट के उपयोग, पर्याप्त जल सेवन व पूरी नींद को रोगों की रोकथाम के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लक्ष्य है कि “ वर्ष 2047 तक देश में सिकल सेल एनीमिया का एक भी बच्चा पैदा न हो”, यह लक्ष्य सबके सामूहिक प्रयास से ही प्राप्त किया जा सकता है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जल संसाधन तुलसीराम सिलावट ने कहा सिकल सेल एनीमिया सबसे बड़ी चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिए हर संभव प्रयास शुरू किए गए है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्यपाल मंगुभाई पटेल इस चुनौती से निपटने के लिए विशेष रूप से प्रयासरत है। वर्ष 2047 तक इस बीमारी का समूल उन्मूलन लक्ष्य है, जिसे सामूहिक प्रयासों से प्राप्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ज्ञान, विज्ञान और अनुसंधान इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कारगर होंगे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सांसद श्री शंकर लालवानी ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन के लिए जागरूकता अत्यंत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से निपटने के लिए एआई कारगर होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्यपाल मंगुभाई पटेल इस बीमारी के उन्मूलन के लिए विशेष रूप से प्रयासरत है। इनके प्रयासों मंय हम सबको सहभागी बनना होगा।
कार्यक्रम को दिपेन्द्र सिंह, डॉ. अरूण अग्रवाल, करूणाकर शुक्ला, डॉ. दीपिका पाठक आदि ने संबोधित किया। एपीजे अब्दुल कलाम विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में देश-विदेश से आए वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और विद्यार्थियों ने भाग लिया। राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त किया कि सम्मेलन में हुए मंथन से सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण समाधान मिलेंगे।
