
अजीत डोभाल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास लोगों में से एक हैं। डोभाल ने अपने करियर में कई अहम काम किए हैं। उन्होंने दंगों को रोकने के साथ-साथ कश्मीर में शांति बनाए रखने में भूमिका निभाई और तबलीगी जमात के मरकज को खाली करवाया। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर में भी उनकी भूमिका है।
नई दिल्ली: पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर भारत के ऑपरेशन सिंदूर में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल की बड़ी भूमिका रही है। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी POK में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया गया। जिसमें संसद हमले के मास्टरमाइंड मौलाना मसूद अजहर के परिवार समेत कई आतंकी मारे गए हैं। डोभाल को हमेशा से एक ‘ऑपरेशन मैन’ माना जाता रहा है। पहलगाम आतंकी हमलों के बाद भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर में डोभाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लगातार बैठकें कीं। ऑपरेशन से पहले और बाद में भी डोभाल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लगातार कई मुलाकातें बताती हैं कि पाकिस्तान पर अभी और बड़ी कार्रवाई हो सकती है। बृहस्पतिवार सुबह भी डोभाल ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी। इसके बाद ही खबरें आईं कि पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की थी, जिसे भारत ने अपने सुदर्शन चक्र यानी S-400 से नाकाम कर दिया। पाकिस्तान का मेड इन चाइना HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम भी तबाह हो गया है। इससे पहले पाकिस्तान के कई शहरों में ड्रोन अटैक की भी खबरें आई थीं। अजीत डोभाल ने अलग-अलग भूमिकाओं में देश की सेवा की है। वे विवादों में भी रहे हैं, लेकिन उनकी क्षमताओं पर कोई शक नहीं कर सकता। जानते हैं इस ऑपरेशन मैन की पूरी कहानी।
पाकिस्तान का डिफेंस सिस्टम तबाह, S-400 का रोल
ऐसी खबरें हैं कि पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसके कराची, गुजरांवाला, लाहौर, रावलपिंडी समेत अलग-अलग शहरों में ड्रोन अटैक किए गए हैं। बताया जा रहा है पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम HQ-9 तबाह हो गया है। इससे पहले सुबह डोभाल ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी। जिसमें तरह-तरह की रणनीतियों पर चर्चा हुई थी। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकाने को निशाना बनाने की कोशिश की थी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है। भारत के 15 शहरों में सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी। बताया जा रहा है कि भारत ने पाकिस्तान की सभी उकसावे की कार्रवाई को अपने S-400 डिफेंस सिस्टम यानी सुदर्शन से तबाह कर दिया है।
पाकिस्तान के खुफिया परमाणु ठिकानों की जानकारी दी
डोभाल ने पाकिस्तान में एक अंडरकवर ऑपरेटिव के रूप में सक्रिय आतंकवादी समूहों के बारे में खुफिया जानकारी जुटाने के लिए सात साल बिताए। उन्होंने एक साल तक खुफिया एजेंट के रूप में काम करने के बाद इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में छह साल तक काम किया। प्रवीण दोथीं ने अगस्त, 2017 में छपे अपने लेख ‘अंडरकवर: अजीत डोभाल इन थियोरी एंड प्रैक्टिस’ में लिखा-पाकिस्तान में अपने कार्यकाल के दौरान डोभाल कहूटा में पाकिस्तान के परमाणु संयंत्र के पास एक नाई की दुकान से पाकिस्तानी वैज्ञानिकों के बाल का सैंपल ले आए, जिससे ये तय करने में आसानी हुई कि कहूटा में किस ग्रेड के यूरेनियम के साथ काम किया जा रहा है।
पीएम मोदी के बेहद करीबी, ताकतवर हस्ती
अजीत डोभाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं। दिल्ली दंगों के दौरान उनकी सक्रियता और धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में उनकी मौजूदगी भी चर्चा में रही। खुफिया विभाग में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन किए। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वे मोदी और अमित शाह के बाद भारत के तीसरे सबसे ताकतवर व्यक्ति हैं। भारत के इतिहास में डोभाल पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। यह पद 1998 में अमेरिका की तरह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने बनाया था। पहले NSA ब्रजेश मिश्रा थे।
नारायणन के बाद खुफिया विभाग से दूसरे एनएसए
वैसे तो NSA के पद पर रक्षा, खुफिया और कूटनीति तीनों का काम होता है, लेकिन अब तक जितने भी NSA बने हैं, उनमें से ज्यादातर कूटनीति के क्षेत्र से थे। ब्रजेश मिश्रा, जेएन दीक्षित और शिवशंकर मेनन कूटनीति के क्षेत्र से ही थे। डोभाल से पहले एमके नारायणन अकेले ऐसे व्यक्ति थे जो खुफिया विभाग से NSA बने थे। आमतौर पर NSA पर्दे के पीछे रहकर सलाह देते हैं। उनका काम दिल्ली में बैठकर हर जगह से जानकारी जुटाना और सरकार को सलाह देना होता है।
370 हटने के बाद जब कश्मीर में डाला डेरा
अगस्त में जब कश्मीर में धारा 370 हटाई गई तो अजीत डोभाल ने लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में पूरे एक पखवाड़े तक कश्मीर में डेरा डाला था। उस दौरान उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था। इसमें वे कश्मीर के सबसे तनावग्रस्त इलाकों में से एक शोपियां में स्थानीय लोगों के साथ बिरयानी खाते हुए दिखाई दे रहे थे। एक और वीडियो में उन्हें जम्मू-कश्मीर पुलिस और अर्ध सैनिक बलों के जवानों के साथ बात करते हुए भी देखा गया। इन दोनों वीडियो से कश्मीर के बाहर रहने वाले लोगों को यह संदेश गया कि कश्मीर में शांति है और वहां हालात नियंत्रण में हैं।
मोदी ने पहली नियुक्ति डोभाल की ही की थी
2014 में जब बीजेपी सत्ता में आई तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद के लिए कई नामों पर विचार हुआ। इनमें पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल, वर्तमान विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर, पूर्व राजनयिक हरदीप पुरी और अजीत डोभाल शामिल थे। लेकिन नरेंद्र मोदी ने डोभाल के नाम पर ही मुहर लगाई। मोदी ने पीएम बनने के बाद पहली नियुक्ति जो की, वो डोभाल की ही थी।