
इंदौर, मध्य प्रदेश। कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल, इंदौर के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने एक दुर्लभ और जटिल हर्निया की ‘पेनलेस और पिनलेस’ सर्जरी कर 73 वर्षीय मरीज को नया जीवनदान दिया है। यह हर्निया स्पिगेलियन प्रकार का था। सामान्य जनसंख्या में इसकी घटना दर कम है, जो लगभग 0.12% है जो कि पेट में होने वाले हर्निया में सबसे दुर्लभ प्रकार का हर्निया होता है, अर्थात् प्रत्येक 10,000 व्यक्तियों में से करीब 12 व्यक्तियों में होता है। यह मांसपेशियों के बीच छिपा होता है, जिससे इसकी पहचान प्रारंभिक अवस्था में कठिन हो जाती है।
मरीज को पिछले 15 सालों से स्पिगेलियन हर्निया की समस्या थी ,जिसके लिए उन्होंने कई जनरल सर्जन को दिखाया एवं डॉक्टरों ने हर्निया की सर्जरी तकलीफ बढ़ने व इमरजेंसी होने पर ही ऑपरेशन का सुझाव दिया था। कमर दर्द और पेट दर्द की तकलीफ के लिए कई दिनों तक मरीज ने हैवी पैनकिलर्स व पेट पर बेल्ट बांधने का उपयोग किया।
उन्होंने कई जनरल सर्जनों से परामर्श लिया। मरीज को सांस लेने में तकलीफ और कमजोरी जैसे लक्षण भी थे, जिसे डॉक्टरों ने मायस्थेनिया ग्रेविस की बीमारी होने की आशंका जताई। इसके अलावा हर्निया की सटीक पहचान भी नहीं हो सकी। मांसपेशियों के बीच छिपे इस लेटरल हर्निया ने उनकी बड़ी आंत और फेफड़ों की मांसपेशियों पर दबाव डालना शुरू कर दिया था, जिससे उन्हें कब्ज, सांस लेने में कठिनाई और कमजोरी जैसी गंभीर समस्याएं हो रही थीं।
अंततः जब दर्द असहनीय हो गया, तब उन्होंने कोकिलाबेन अस्पताल के लेप्रोस्कोपिक एवं बैरियाट्रिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. प्रतीक पोरवाल से संपर्क किया। डॉ. पोरवाल की टीम ने तत्परता से सीटी स्कैन कर हर्निया की सही पहचान की और उसी दौरान यह भी पता चला कि मांसपेशियों के बीच छिपा हुआ मरीज की बड़ी आंत को दबा रहा था जिससे उन्हें कब्ज की समस्या भी बढ़ी थी और यही हर्निया लंग्स की मसल्स पर भी दबाव बना रहा था। यही वजह थी कि उन्हें सांस नहीं ले पाने की दिक्कत हो रही थी। डॉ. प्रतीक और उनकी टीम ने मिलकर दूरबीन से की जाने वाली अत्याधुनिक eTEP (एक्सटेंडेड टोटली एक्स्ट्रा पेरिटोनियल) पद्धति से सफल सर्जरी की।
इस तकनीक की विशेषता यह है कि इसमें पेट की दीवार में केवल 5-10 मिमी के सूक्ष्म चीरे लगते हैं और जाली को बिना किसी पिन के प्रत्यारोपित किया जाता है, जिससे इसे ‘पेनलेस और पिनलेस सर्जरी’ कहा जाता है। इस प्रक्रिया में पेट के अंदर जाने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे दर्द कम होता है और रिकवरी भी तेजी से होती है।
डॉ. पोरवाल ने बताया कि, “मरीज का वजन अधिक होने से कई जटिलताएं थीं। यदि समय रहते इलाज नहीं होता, तो उनकी बड़ी आंत फटने का खतरा था, जो जानलेवा सिद्ध हो सकता था। लेकिन सर्जरी के बाद मरीज को तत्काल राहत मिली और वे तीन दिन में ही अस्पताल से घर लौट गए।”
इलाज से संतुष्ट डॉ. हरिवल्लभ ने कहा, “मैं वर्षों से इस दर्द से पीड़ित था, लेकिन अब डॉक्टर प्रतीक पोरवाल के कुशल इलाज से मुझे राहत मिल चुकी है। सात दिन में ही मैं स्वस्थ महसूस कर रहा हूं।”
यह केस दर्शाता है कि किसी भी प्रकार के असामान्य लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। पेट दर्द, कब्ज, सांस लेने में कठिनाई या कमर दर्द जैसी समस्याएं यदि लंबे समय तक बनी रहें, तो किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श आवश्यक है। केवल योग, व्यायाम या बेल्ट के सहारे हर्निया जैसी बीमारियों का समाधान नहीं हो सकता। यह केस सही निदान, विशेषज्ञ चिकित्सा, मल्टीडिसिप्लिनरी दृष्टिकोण और एडवांस टेक्नोलॉजी आदि सभी के सम्मिलित प्रभाव से सफल हो सका।