
बिहार में सज रही है हिंदुत्व की पाठशाला,कथा एवं अन्य आयोजन से बन रही फिजा
-प्रदीप कुमार वर्मा
देश के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा सीता मंदिर निर्माण का ऐलान। गोपालगंज में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री द्वारा हनुमंत कथा का आयोजन। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर का हालिया बिहार दौरा। और होली- रमजान के बहाने शुरू हुआ हिंदू-मुस्लिम की तरफदारी का संग्राम। इस साल के आखिर में बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं और यही वजह है कि चारों तरफ बिहार में यही नजारा आम है। बिहार में चुनाव से पहले वैसे तो हर बार राजनीतिक पार्टियां जातिगत समीकरण के जोड़-तोड़ में जुट जाती है। और यह मुद्दा खूब चलता भी है। लेकिन इतिहास गवाह है कि इन तमाम समीकरण के बावजूद भाजपा अपने अकेले के दम पर कभी बिहार में सत्ता हासिल नहीं कर पाई। अब शायद यही वजह है कि इस बार भाजपा सहज रूप से “हिंदुत्व”के जरिए हर हाल में बिहार की राजनीतिक दशा और दिशा बदलने की कोशिश में है।
बीते दिनों प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ तथा अब होली के त्यौहार में हिंदू सनातनी एकता की संकल्पना सरकार होती दिखाई पड़ी है। पूरे देश में हिंदू एकता मजबूत हुई है। इससे समूचा विपक्ष खासा परेशान है। लेकिन भाजपा चुनावी समर की शुरुआत में ही “दिग्गजों” के जरिए हिंदुत्व का एजेंडा सेट कर चुनाव प्रचार में आगे बढ़ना चाहती है। हिंदुत्व के प्रचार प्रसार की इस कड़ी में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बिहार के गोपालगंज में अपनी हनुमंत कथा कह चुके हैं। हनुमंत कथा के प्रस्तुतीकरण में विभिन्न पौराणिक प्रसंगों के साथ-साथ पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का अपने समर्थकों को हिंदू सनातनी एकता का संदेश भी है। शास्त्री कहते हैं कि हमें देश को “हिंदू राष्ट्र” बनाना है। इसके लिए जातियों में बंटे हिंदुओं को अब सनातन के नाम पर एकजुट होना ही होगा।
हनुमंत कथा के दौरान उन्होंने कहा कि “हमें छेड़ेंगे तो हम छोड़ेंगे नहीं”, भारत को हिंदू राष्ट्र बनाएंगे तथा हिंदुओं को एक करेंगे। इस संदेश के साथ ही उन्होंने सीधे तौर पर लालू यादव के गृह क्षेत्र सहित पूरे बिहार में ही बिखरे हुए हिन्दुओं को एक साथ लाने की बात कहकर विपक्ष को मुश्किल में डाल दिया है। बिहार के गोपालगंज इलाके के सियासी मिज़ाज़ पर गौर करें, तो यह इलाका राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव का गृह क्षेत्र है। वहीं, दूसरी तरफ आर्ट ऑफ लिंविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर भी बिहार दौरे पर पहुंच गए हैं। बिहार पहुंचने पर श्री श्री रविशंकर ने कहा कि, बिहार अब पिछड़ा राज्य नहीं रहा, अब आगे बढ़ रहा है। यहां ऐसे ऊर्जावान नेता हैं,जो प्रदेश के विकास में अहम भूमिका निभा सकते हैं। श्री श्री रविशंकर तीन दिन तक राज्य के दौरे पर रहे। इस दौरान औरंगाबाद और पटना में उनके भव्य सतसंग के कार्यक्रम के आयोजन सम्पन्न हुए ।
गांधी मैदान में दो सत्संग में ध्यान, योग और जीवन जीने की कला पर रविशंकर प्रवचन दिए। जानकारों का कहना है कि श्री श्री रविशंकर की अभिजात्य वर्ग में गहरी पैठ है और देश के बड़े कॉर्पोरेट तथा विभिन्न नौकरियों में तैनात बड़े लोग उनके समर्थकों में शामिल है। ऐसे में बिहार में श्री श्री रविशंकर की मौजूदगी आगामी चुनावी राजनीति के लिहाज से इस वर्ग के लोगों को साध सकती है। इसके अलावा संघ प्रमुख मोहन भागवत बिहार के पांच दिन के दौरे पर राह चुके हैं। इस दौरान मोहन भागवत, संघ के स्वयंसेवकों और बीजेपी के नेताओं से मुलाकात-संवाद भी कर चुके हैं। बिहार में मौजूद कुछ संघ की शाखाओं में प्रवास के दौरान स्वयं सेवकों के साथ संवाद में भी अघोषित तौर पर हिंदुत्व एवं आगामी बिहार चुनाव पर चर्चा हो चुकी है। उधर,केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार में सीता जी के मंदिर के निर्माण का ऐलान किया है।
अहमदाबाद में आयोजित “शाश्वत मिथिला महोत्सव 2025” कार्यक्रम के दौरान शाह ने मिथिला समाज के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘हमने पहले अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया है, अब बिहार के सीतामढ़ी में भव्य सीता मंदिर बनाने का समय आ गया है। यह भव्य मंदिर देवी सीता द्वारा अपने जीवन में अपनाए गए आदर्शों का संदेश देगा। केंद्र सरकार एवं भाजपा में पावर के लिहाज से नंबर दो की पोजीशन रखने वाले शाह के मिथिला के सीतामढ़ी में भव्य सीता माता का मंदिर बनाने के ऐलान से ही बिहार की राजनीति गर्मा गई है। इस बयान के बाद से विपक्षी दल खासे परेशान हैं। बिहार चुनाव में हिंदुत्व की बिसात बिछाने वाली भाजपा के सामने अब विरोधियों को कोई दाव नहीं सूझ रहा। एनडीए के विरुद्ध बिहार चुनाव में ताल ठोकने वाले हिंदी गठबंधन के घटक दलों में हिंदुत्व को लेकर “कभी नरम,कभी गरम” जैसे भाव देखने को मिल रहे हैं।
कुल मिलाकर विपक्षी दलों को यह समझ में नहीं आ रहा कि वे भाजपा के इस दाव का जवाब कैसे दें? बिहार में जाति की राजनीति होती रही है है। ऐसे में विपक्ष को लगता है कि हिंदुओं के नाम पर अगर जातियां एकजुट हो जाती हैं, तो फिर विपक्ष को नुकसान होगा और एनडीए को उसका फायदा पहुंचेगा। देश में रंग और उमंग का त्योहार होली आपसी सौहार्द, भाईचारे एवं प्रेमभाव के साथ मनाया गया। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और अटक से लेकर कटक तक पूरा देश होली के रंगों में रंगा नजर आया। होली के रंगों के जरिए ही सही देश में एक बार फिर से एकता का संदेश देखने को मिला। होली के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कट्टर हिंदुत्व के मसीहा की छवि के रूप में उभरे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हिंदू समाज बीते कई सालों से अगड़े- पिछड़े, छुआ-छूत,अमीर-गरीब तथा अप्रशयता एवं जातीय भेदभाव और अन्य वर्गों में बंटा हुआ था।
बीते दिनों अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होने के बाद में का नैतिक साहस उच्चतम शिखर पर है। इसके साथ ही पहले प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ तथा अब होली के त्यौहार में भी भारतीय संसजृति और हिंदू सनातनी एकता की संकल्पना सरकार होती दिखाई पड़ी है,जिससे पूरे देश में हिंदू एकता मजबूत हुई है। इससे बिहार का मुख्य विपक्ष राष्ट्रीय जनता दल सहित इंडिया गठबंधन खासा परेशान है। बिहार चुनाव की प्रारंभिक राजनीतिक गतिविधियों में भले ही राजनीतिक रूप से चर्चा रोजगार, अपराध, महिला सुरक्षा, बिहार फर्स्ट, बिहार से पलायन तथा पूर्व में हुए घोटाले के बारे में हो। लेकिन यह तय लग रहा है कि एक बार फिर से हिंदुत्व का मुद्दा बिहार चुनाव में प्रभावी रहेगा। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि हिंदुत्व की यह धारा ना केवल बिहार के राजनीतिक परिणामों को भी महत्तम रूप से प्रभावित करेगी,बल्कि भाजपा को चुनावी वैतरणी भी पार कराएगी।
-लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।