सुकमा, 20 नवंबर । जिले के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने कहा कि संविधान के दायरे में कोई संगठन का काम करता है तो उस पर प्रतिबंधित करना उचित नहीं है। मूलवासी बचाओ मंच पर प्रतिबंध गैर प्रजातांत्रिक है, सरकार का यह फैसला संविधान के विरुद्ध है। ग्राम सिलगेर की घटना के विरोध एवं दोषी पुलिस फोर्स के जवानों को दण्डित करने की मांग को लेकर मूलवासी बचाओ मंच अस्तित्व में आया था। बस्तर के अंदर जहां-जहां पुलिस व फोर्स द्वारा कथित रूप से निर्दोषाें की हत्या को मुठभेड़ बताया गया। वहां-वहां मूलवासी बचाओ मंच द्वारा धरना आंदोलन शुरू किया गया, करीब 15 स्थान में ऐसे धरना आंदोलन चल रहे थे।
उन्हाेंने कहा कि बस्तर प्राधिकरण की बैठक में मूलवासी बचाओ-मंच पर प्रतिबंध छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लगाया गया। कई आंदोलन में मूलवासी बचाओ मंच के कार्यकर्ता भाग लेते थे, यहां तक आदिवासी समाज द्वारा आयोजित आंदोलन व सभा में भी हिस्सा लेते थे। कई संगठनों व बौद्धिक लोग भी सिलगेर में मूलवासी बचाओ मंच के आंदोलन व कार्यक्रमों में भाग लेते रहे हैं। मूलवासी बचाओ मंच आंदोलन कोई हथियार बंद आंदोलन नहीं था, प्रजातांत्रिक दायरे में ही आंदोलन होता था। मनीष कुंजाम ने कहा कि सरकार शांतिपूर्ण तरीके से नक्सली समस्याओं को हल करने के दिशा में मूलवासी बचाओ मंच का इस्तेमाल कर बातचीत शुरू कर सकती थी। लेकिन सरकार जल्दी में है, 2026 तक नक्सल मुक्त जो करना है, सलवा जुडूम के दाैरान से ऐसे डेडलाइन सुनते आ रहे हैं। दरअसल नक्सलियों को मार कर खत्म करने का सरकार का इरादा है। हमारी मांग हमेशा शांतिपूर्ण हल करने की रही है, और सरकार को इस पर पहल करनी चाहिए, लेकिन सरकार की मंशा कुछ और ही है।