नई दिल्ली से पत्रकार उषा माहना की कलम से,
भारतीय किसान संघ के 11 अगस्त 2021 के ज्ञापन में माननीय प्रधानमंत्री जी को इस बाबत आग्रह किया था कि देशभर के किसानों में आक्रोश और शांति का मुख्य कारण जो बना हुआ है वह है, किसानों को उनकी उपज का लागत आधारित लाभकारी मूल्य नहीं मिलना। न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होने के बावजूद मंडियों में किसानों की उपज से कम मूल्य में बिकता है। कृषि उत्पादों में मूल्य को हमेशा नियंत्रित रखा गया जिससे स्वतंत्र बाजार व्यवस्था विकसित नहीं हो सकी, और अब कृषि आदान तो महंगे होते जा रहे हैं परंतु न्यूनतम समर्थन मूल्य बहुत पीछे छूट गया है। किसानों को आदान पूर्तिकर्ता उनकी उपज का व्यापार करने वाले तथा उद्योग चलाने वाले सभी तो फल फूल रहे हैं, संपन्न हो रहे हैं,लेकिन स्वयं किसान कर्जदार वह गरीब से और गरीब होता जा रहा है। देश के सभी कृषि वैज्ञानिक/संस्थान केवल उत्पादन बढ़ाने में लगे हैं,अब समय आ गया है कि किसान की आय बढ़ाने या लागत घटाने पर भी प्राथमिकता से कार्य किया जाये। बाजार भाव एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी प्रति क्विंटल सैकड़ों रुपए का अंतर हो जाता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य का केवल एक-दो प्रांतों को ही लाभ मिल पाता है और शेष देश भर के किसान वंचित रह जाते हैं ऐसे में कोई तो समाधान जरूरी हो ही जाता है
अतः निम्न बिंदुओं पर सकारात्मक कार्यवाही कर किसानों को आर्थिक संकट से निकाला जाए-
- किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के बजाय लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देना होगा।
- एक बार घोषित मूल्य के बाद उसके आधारों में होने वाली महंगाई का भुगतान के समय समायोजन करते हुए, महंगाई के अनुपात में वास्तविक मूल्य चुकाना होगा।
- घोषित मूल्य पर किसान की उपज का बेचान सुनिश्चित हो फिर चाहे वह मंडी में बेचे, चाहे मंडी के बाहर या फिर चाहे सरकार खरीदे, लेकिन घोषित मूल्य से कम पर क्रय-विक्रय को अपराध मानना होगा।
यह सब केवल और केवल तभी संभव है जब इस बाबत कठोर कानून बनेगा।
ऐसे में लागत आधारित लाभकारी मूल्य दिए जाने का कठोर कानून बनाया जाए।
भारत का किसान अपने राष्ट्रीय दायित्व को भली-भांति समझता है, इसलिए उक्त ज्ञापन के माध्यम से सरकार को आग्रह किया गया था और सकारात्मक कार्यवाही की अपेक्षा में किसानों ने 31 अगस्त तक इंतजार किया, लेकिन खेद है उस पर कोई जवाब नहीं आया, ऐसे में भारतीय किसान संघ द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार कल दिनांक 8 सितंबर 2021 को सभी जिला केंद्रों पर कोविड-19 नियम पालना के साथ धरना- प्रदर्शन करते हुए जिला कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किए जाएंगे। जिससे किसानों की मांग पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर सकारात्मक निर्णय की सूचना या यह स्पष्ट किया जाए कि हमारी मांग कैसे सुनिश्चित है? निवेदन किया गया है और यदि 10 दिवस में कोई आमंत्रण/सूचना प्राप्त नहीं हुई तो भारतीय किसान संघ अगले कदम की ओर बढ़ेगा,आशा है कि किसान को खेती छोड़ कर सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
प्रति,
नई दिल्ली से पत्रकार उषा माहना की रिपोर्ट।