इंदौर। कृषि के क्षेत्र में उन्नत एवं नयी तकनिकी की उपयोगिता को बढ़ाबा देने तथा उन्नत कृषि उत्पादन हेतु प्रेस्टीज़ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग मैनेजमेंट एंड रिसर्च ने भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर के साथ समझौता किया है। इस अवसर पर प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ डेविश जैन, भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान की प्रभारी निदेशक डॉ. नीता खांडेकर, पीआईइएमआर के निदेशक डॉ मनोज कुमार देशपांडे के साथ साथ आईसीएआर-आईआईएसआर की को प्रो साधना तिवारी (एचओडी, एएसएच), प्रोफेसर आभा जैन एवं पीआईइएमआर के वरिष्ठ फैकल्टीज उपस्थित थे।
समझौते पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रेस्टीज ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. डेविश जैन ने सोयाबीन के उत्पादन एवं प्रसंस्करण उन्नत कृषि तकनिकी की उपयोगिता पर बल देते हुए कृषि के क्षेत्र में दुनिया भर में हो रहे शोधों के बारे में चर्चा की। उन्होंने छात्रों को कृषि में इंजीनियरिंग तकनीकों को अपनाने के नए तरीकों के बारे में भी बताया और कहा कि दोनों प्रतिष्ठित संस्थानों के बीच हुए इस समझौते से उन्नत कृषि तकनिकी का हस्तांतरण देश एवं प्रदेश में कृषि उत्पादन, विशेष रूप से सोयाबीन एवं अन्य तिलहल एवं दलहन उत्पादन को बढ़ाबा देगा।
डॉक्टर नीता खांडेकर ने कहा कि इस आपसी समझौते से प्रेस्टीज संस्थान के छात्र शोधकर्ताओं और प्राध्यापकों का कृषि तकनिकी के क्षेत्र में उनके अनुभवों का लाभ ले सकेंगे तथा वे आईआईएसआर के प्रयोगशाला का भी उन्नत कृषि अनुसंधान के लिए उपयोग कर सकेंगे। उन्होंने उच्च तकनीक का कृषि के क्षेत्र में प्रयोग करने के साथ साथ कृषि के क्षेत्र में और अधिक शोध की ज़रूरत पर जोर दिया ।
प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग के निदेशक श्री मनोजकुमार देशपांडे ने कृषि में आने वाली कठिनाइयों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी और बताया कि किस तरह इंजीनियरिंग एप्लिकेशन, एआई, आय ओ टी, ड्रोन, रोबोटीक्स और डाँटा सायंस के माध्यम से इन कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं।
इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिक डॉ. महावीर प्रसाद शर्मा, डॉ. एम शिवकुमार, डॉ. लक्ष्मण सिंह राजपूत, डॉ. राघवेंद्र मदार एवं मृणाल के. कुचलन ने प्रेस्टीज ऑटोमेशन और रोबोटीक्स लेबोरेटरी का निरीक्षण किया। डॉ. योगेश पांड्या एवं प्रो. प्रखर वर्मा ने ड्रोन तकनीक का कृषि विज्ञान में इसके उपयोग प्रदर्शन किया।
पीजीडीएम, टेक्निकल मैनजीरीयल रीसर्च प्रमुख, डॉ. जॉली मसीह ने