( अमिताभ पाण्डेय )
भोपाल।
आदि शक्ति मां गायत्री के गुणगान करते हुए उनके विचारों को अपने व्यक्तित्व में समाहित करने वाले सेवानिवृत प्राचार्य कैलाश नारायण उपाध्याय ने विगत 9 मार्च 2024 को अपने यशस्वी जीवन की यात्रा पूरी कर ली । लगभग 90 वर्ष की उम्र हो जाने के उपरांत उन्हें भगवान ने अपनी शरण में बुला लिया। मन , कर्म और विचारों से गायत्री परिवार के आजीवन प्रचारक रहे दिव्य पुरुष श्री उपाध्याय देवलोक चले गए। श्री उपाध्याय की जीवन यात्रा मध्य प्रदेश के आगर जिला अंतर्गत नलखेड़ा शहर में ही पूरी हो गई । उनका जन्म नलखेड़ा के समीप सरपोई नामक गांव में हुआ ।
प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा के उपरांत उनके जीवन का अधिकांश समय नलखेड़ा , सुसनेर में बीता जहां वे अध्यापक प्राचार्य रहे।
श्री उपाध्याय आज से लगभग 60 साल पहले अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक , वेद मूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के सानिध्य में आए।
उन दिनों आचार्य जी भारत के विभिन्न शहरों में गायत्री परिवार के कार्य का विस्तार करने के लिए प्रवास किया करते थे ।
प्रवास के दौरान आचार्य जी जब नलखेड़ा , सुसनेर पधारे तो श्री उपाध्याय ने भी उनसे सौजन्य भेंट की। इसके बाद भेंट का सिलसिला कुछ ऐसा चला कि आचार्य जी को उनका बहुत स्नेह आशीर्वाद मिलने लगा।
श्री उपाध्याय को आचार्य जी का ऐसा सानिध्य मिला कि वह गायत्री परिवार के कार्यों का विस्तार करने के प्रति पूरे समर्पित भाव से जुट गए ।
आचार्य जी की कृपा दृष्टि और प्रेरणा से श्री उपाध्याय ने नलखेड़ा , सुसनेर सहित आसपास के अनेक गांव शहरों में गायत्री मंदिरों की स्थापना में तन-मन – धन से सहयोग दिया।
यज्ञ हवन आदि की गतिविधियों के लिए वह हमेशा समर्पित रहे ।
श्री उपाध्याय का पूरा जीवन गायत्री परिवार के सिद्धांतों के अनुसार बीता। अपने आचरण और व्यवहार से उन्होंने समाज सेवा के जो मापदंड स्थापित किए वे हम सभी को आने वाले समय में भी प्रेरणा देते रहेंगे ।
उनके जैसे सरल और सहज व्यक्तित्व हमारे समाज में कम होते जा रहे हैं।
श्री उपाध्याय मां भगवती देवी – गायत्री के परम धाम चले गए।
उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन अदृश्य सत्ता के रूप में सदैव हमारा मार्गदर्शन करता रहेगा।
( लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं, संपर्क:9424466269 )