बाबा महाकाल की प्रथम सवारी में 2 लाख श्रद्धालु करीब आए शाही सवारी में उमड़ेगा जनसैलाब
ujjain/विश्व प्रसिद्ध महाकाल की सवारी का इंतजार लाखों भक्तों को रहता है। . और उज्जैन में महाकाल बाबा की पहली सवारी भी ठाट-बाट से निकाली गई। लाखों भक्त इस पवित्र आयोजन के साक्षी बने। भक्तों का सैलाब देखकर लग रहा था कि मानो ये शाही सवारी हो। रात करीब आठ बजे महाकाल की सवारी सभा मंडप पहुंची। जहां पूजन-अर्चन के बाद सवारी संपन्न हुई। अब अगली सवारी 17 जुलाई को निकलेगी।
महाकाल पहुंचे मनमहेश
नगर भ्रमण करने के बाद बाबा महाकाल पुनः मनमहेश स्वरूप में महाकाल मंदिर पहुंचे। यहां सभा मंडप में पंडितों द्वारा भगवान मनमहेश को स्थापित किए जाने के बाद परंपरागत पूजन किया गया। सभा मंडप में हुए भगवान मनमहेश के पूजन के बाद मंदिर में बाबा महाकाल की सांध्य आरती शुरू हुई।
नगर भ्रमण के दौरान बाबा महाकाल की सवारी जब गोपाल मंदिर पहुंची तो यहां गोपाल मंदिर के पुजारी बाबा महाकाल का पूजन अर्चन करने के लिए मुख्य मार्ग पर आए। जहां उन्होंने पालकी में भगवान मनमहेश का पूजन अर्चन कर आरती की। इस दौरान हरि और हर का मिलन भी हुआ.
महाकाल की सवारी का स्वरूप हर दशक में बदलता रहा है। सवारी निकलने का सबसे पुराना प्रमाण 2100 साल पुराना शिलालेख है, 300 साल पहले सवारी को शाही स्वरूप मिला।
शिलालेख पर भी महाकाल सवारी
श्रावण में निकलने वाली महाकाल सवारी का अब तक का सबसे प्राचीन उल्लेख 2100 साल पुराने शिलालेख में होने का दावा है। पुराविद् डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित के अनुसार यह शिलालेख गढ़कालिका क्षेत्र से 25 साल पहले मिला था। लिपि शास्त्री डॉ.जगन्नाथ दुबे ने इस पर विक्रम, रुद्र, मोह लिखा बताया। इस पर नंदी पर शिव जाते दिख रहे हैं।
300 साल पहले हुआ था बदलाव
300 साल पहले सिंधिया वंशजों ने सवारी को शाही स्वरूप दिया। जब मंदिर का नव निर्माण कराया तभी से सवारी का नया स्वरूप शुरू हुआ। यह सवारी शाही खर्च और इंतजाम से निकलती थी, इसलिए भगवान को भी राजसी वैभव से भ्रमण की शुरुआत हुई। सवारी मराठा कैलेंडर के अनुसार अमावस्या से अमावस्या तक निकलती थी।
सवारी पहुंचने के बाद . संध्या आरती
रामघाट पर पूजन के उपरांत सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, ढाबा रोड, टंकी चौराहा गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए पुन: महाकाल मंदिर . इसके बाद संध्या आरती . पहली सवारी में शाही सवारी जैसा माहौल नजर आया। 80 के दशक में सवारी मार्ग में बदलाव हुआ। लौटती सवारी पहले कमरी मार्ग से ही गोपाल मंदिर आ जाती थी। इसे टंकी चौक से छत्री चौक होकर गोपाल मंदिर लाने की शुरुआत हुई।.
700 पुलिस जवान और 350 वॉलिंटियर संभाल रहे सवारी की व्यवस्था
पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा ने बताया कि स्थानीय जनता और श्रद्धालुओं को असुविधा न हो इसीलिए सुरक्षा की दृष्टि से जितने भी बिन्दु हैं, वहां पर्याप्त इंतजाम किये गये हैं। सवारी की व्यवस्था में लगभग 700 पुलिस के जवान तैनात रहे। इसके अतिरिक्त 350 वॉलेंटियर्स भी सवारी की व्यवस्था संभाल रहे हैं।
750 सीसीटीवी कैमरों से नजर
महाकाल मंदिर व श्री महाकाल लोक में स्मार्ट सिटी द्वारा दस करोड़ रुपये की लागत से 500 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए है। इसके अलावा आर्टिफिशल इंटेलिजेंसी का भी उपयोग किया गया है। मंदिर समिति महाकाल परिसर, हरसिद्धि मंदिर क्षेत्र सवारी मार्ग में 250 सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए है। इसके अलावा पुलिस के 108 स्थानों पर भी 511 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इनके माध्यम से भी पुलिस कंट्रोल रूम से नजर रखी जा रही.
शिप्रातट पर गूंज उठा जय श्री महाकाल
शिप्रा तट रामघाट पर जैसे ही बाबा महाकाल की सवारी पहुंची, वैसे ही दत्त अखाड़ा क्षेत्र और रामघाट क्षेत्र पर बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए उमड़े। श्रद्धालुओं ने बाबा की एक झलक देखने के साथ ही जय श्री महाकाल का उद्घोष किया। यहां पर बाबा महाकाल का मां शिप्रा के जल से पूजन अर्चन किया जाएगा। आरती की जाएगी और फिर सवारी यही से महाकाल मंदिर जाने के लिए फिर से शुरू होगी।
महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर
महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में बाबा महाकाल के मनमहेश स्वरूप का पूजन अर्चन करने के बाद बाबा महाकाल को चांदी की पालकी में विराजित किया गया। इसके बाद जय महाकाल के उद्घोष के साथ यह सवारी प्रारंभ हुई। सवारी मंदिर परिसर से होते हुए जैसे ही मंदिर के मुख्य गेट पर पहुंची। वैसे ही सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान श्री महेश को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। बाबा महाकाल को सलामी देने की यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
प्रशासन ने किया विशेष पूजन
बाबा महाकाल की पहली सवारी प्रारंभ होने के पहले सभा मंडप में बाबा महाकाल का विशेष पूजन अर्चन किया गया। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव, विधायक पारस जैन, कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, एसपी सचिन शर्मा, श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी, महापौर मुकेश टटवाल के साथ ही अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने किया। भगवान के विशेष पूजन अर्चन और आरती के बाद चांदी की पालकी में बाबा महाकाल के मनमहेश स्वरूप को विराजमान किया गया। .
श्रावण मास के प्रथम सोमवार पर धर्मनगरी मे गूंजा जय श्री महाकाल
श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण मास के पहले सोमवार को रात 2:30 बजे मंदिर के पट खुलने के बाद पुजारी, पुरोहितों ने जलाभिषेक कर भगवान महाकाल का भांग और सूखे मेवे से शृंगार कर भस्म आरती की। .