निप्र, रतलाम मध्यप्रदेश शासन की नीति शासकीय और प्रशासकीय स्तर तक कितनी विवेक शील है,यह पंचायतों की कार्य समीक्षा से ही ज्ञात होता हैं, जहा जल समस्या में बारिश से पहले और बारिश के बाद अपनी भूमिका से पिछड़ते जनप्रतिनिधी किसानों और पेयजल की उपयोगिता को समझ नहीं पाते और ना ही बारिश के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में जल भराव की समस्या को समझ पाते हैं , और जब भुजल संकट पेयजल की कमी और बारिश के दौरान जगह जगह जल भराव होता हैं तो सत्ता और विपक्ष के नेता उन्हें मुद्दा बनाकर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति करते है नज़र आते हैं ऐसे ही एक वीडियो में जिला जनपद सदस्य राजेश भरावा ग्राम पंचायत नौलखा जो की पिपलौदा जनपद की पंचायत है उन्हीं के जनपद क्षेत्र में आने पर जब बारिश से जल भराव की समस्या से ग्राम वासियों द्वारा उन्हें अवगत करवाया जाता हैं तो भरावा द्वारा प्रशासन और ठेकेदार की लापरवाही से जल भराव की समस्या होना और दो दो फीट तक पानी भरा होने से बच्चों की स्कूल शिक्षा आवागमन प्रभावित होना वहीं समस्या बड़ी होना बताते है पर क्या समस्या गंभीर होने पर ही मुख्य चर्चा का केंद्र होती हैं समय से पहले पंचायत सरपंच और जिला जनपद सदस्य और अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा कार्य में रुचि नहीं दिखाई जा सकती, ग्रामीणों ने बताता की पचेवा मार्ग पर बने तालाब में गांव के पानी की निकासी थी जिसे अवरूद्ध कर रखा था जल निकासी को लेकर काफ़ी वाद विवाद भी हुआ जिसकी प्रशासन स्तर पर सुनवाई नहीं हुई और सरपंच तक ही मामला सीमित रह गया ग्रामीणों ने बताया जनपद सदस्य भरावा चुनाव के बाद सिर्फ लाड़ली बहना योजना के फार्म भरवाने आए थे उससे पहले कभी समस्या के संबंध में गांव में देखने तक न आए लोकतंत्र में सिर्फ सत्ता की कुर्सी पर बैठना और सत्ता में काबिज रहना राजनीति है या जनमानस के हितों के कार्य करना, वर्तमान में विधानसभा की दौड़ में लगे जनप्रतिनिधी तार्किक मुद्दों से दूर है।