नई दिल्ली(माधव एक्सप्रेस/ऊषा माहना)
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में गत 10 मार्च को न्यूज एंकर दीपक चौरसिया के विरुद्ध दर्ज एफ.आई.आर.को रद्द करने की याचिका पर एक बार फिर 10 अप्रैल 2023 तक सुनवाई टल गई है। दीपक चौरसिया ने अपने वकील के माध्यम से त्वरित सुनवाई के लिए आग्रह किए जाने पर उच्च न्यायालय से कोई राहत नही मिली। आपको बता दें कि बीते 21 फरवरी को भी याचिका पर सुनवाई करने से हाइकोर्ट ने इंकार कर दिया था। मामले की पैरवी करने वाले जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार से प्राप्त जानकारी के अनुसार इसी याचिका पर बीते 17 फरवरी को सुनवाई होनी थी, लेकिन उस दौरान सुनवाई नही होने के कारण न्यायालय ने 21 फरवरी की तारीख निश्चित की थी।
गौरतलब है कि गत 29 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट में दीपक चौरसिया द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई थी। जिसमे हरियाणा सरकार से दीपक चौरसिया की याचिका पर जवाब मांगा गया था। जिसमें गुरुग्राम पुलिस द्वारा दीपक चौरसिया के विरुद्ध 2015 में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी। क्योंकि पत्रकार दीपक चौरसिया और उनके कुछ सहयोगी पत्रकारों पर 2013 में एक 10 वर्षीय बच्ची और उसके परिवार के संपादित और अश्लील वीडियो प्रसारित करने और वीडियो को संत आशाराम बापू के मामले से जोड़ने का आरोप है। दीपक चौरसिया की ओर से दायर याचिका में यह कहा गया कि वह समाचार को प्रसारित करने के लिए जिम्मेदार नहीं थे और उनकी भूमिका केवल निर्देश देने तक ही सीमित थी। याचिकाकर्ता चैनल के दिन-प्रतिदिन के मामलों में शामिल नहीं था और वीडियो के संपादन में भी शामिल नहीं था। दायर याचिका में यह भी कहा गया है कि यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं था कि याचिकाकर्ता की कोई भूमिका रही है। यह भी आरोप लगाया गया कि एफ.आई.आर दर्ज कराने वाला शिकायतकर्ता संत आसाराम बापू का भक्त है। और आशाराम बापू से संबंधित समाचार प्रसारित करने के बदले में एक उल्टे मकसद के साथ मामला दर्ज किया गया है। फिलहाल याचिका पर सुनवाई टलने से दीपक चौरसिया को निराशा हाथ लगी है। सूत्रों के मुताबिक गुरुग्राम के पॉक्सो जिला अदालत में दीपक चौरसिया को बार बार पेशी की प्रक्रिया से गुजरना भी पड़ रहा है। न्यायालय में पेश नही होने पर 2 बार अरेस्ट वारंट जारी किए जाने पर पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए हाइकोर्ट जाना पड़ा। लेकिन हाईकोर्ट से कुछ ज्यादा राहत नही मिली, बल्कि,2 लाख रुपए का जुर्माना भरने तथा सेसन कोर्ट में सरेंडर होकर जमानत की अर्जी लगाने के आदेश पर फिलहाल जमानत पर है।