चीनी सेना के सामने दीवार बनकर खड़ा होगा थिएटर कमांड
नई दिल्ली । भारत की तीनों सेनाओं को संयुक्त रूप से मजबूत बनाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को लोकसभा में विधेयक पेश किया। इस विधेयक के पास होने के बाद तीनों सेनाओं के कमांडरों को उनके अधीन काम करने वाले तीनों सशस्त्र बलों के सभी कर्मियों को अनुशात्मक अधिकार देगा। दरअसल, तीनों सेनाओं को संयुक्त रूप से मजबूत करने के लिए आधुनिकीकरण और पुनर्गठन करके थिएटर कमांड बनाने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसी के तहत रक्षा मंत्रालय ने लोकसभा में विधेयक पेश किया। भारत में थिएटर कमांड बनाना जनरल बिपिन रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है। रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने इंटर सर्विसेस ऑर्गेनाइजेशन (कमांड कंट्रोल एंड डिसिप्लिन) बिल-2023 संसद में पेश किया। विधेयक में कहा गया है कि सरकार एक अधिसूचना के जरिए इंटर सर्विसेस ऑर्गेनाइजेशन का गठन कर सकती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल जुलाई में तीनों सेनाओं के ज्वॉइंट थिएटर कमांड सेटअप करने की घोषणा की थी।
देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत थिएटर कमांड पर काम कर रहे थे। 31 दिसंबर 2019 को जब जनरल बिपिन रावत ने सीडीएस का पद संभाला था, तब उनका सबसे बड़ा काम तीनों सेनाओं में तालमेल बैठाने का था। इसके साथ ही उन्हें तीन साल के भीतर थिएटर कमांड बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पिछले साल दिसंबर में हेलिकॉप्टर क्रैश में जनरल बिपन रावत का निधन हो गया था।
थिएटर कमांड का मकसद तीनों सेनाओं एक छत के नीचे लाना
थिएटर कमांड का मकसद भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं को एक छत के नीचे लाना है। चार नए थिएटर कमांड बनाने पर बिपिन रावत काम कर रहे थे। रावत जिस थिएटर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, वो प्रोजेक्ट चीन और पाकिस्तान से आने वाले खतरों से निपटने में अहम रोल अदा करेगा।
दरअसल थिएटर कमांड्स का सबसे सही इस्तेमाल युद्ध के दौरान तब होता है, जब भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेना प्रमुखों के बीच तालमेल होती है. थिएटर कमांड्स से बनी रणनीतियों के अनुसार दुश्मन पर अचूक वार करना आसान हो जाता है. तीनों सेनाओं के संसाधनों और हथियारों का इस्तेमाल एक साथ किया जा सकता है.
सैन्य बल को एकजुट करने थिएटर कमांड की जरूरत
1999 में भारत ने पाकिस्तान के साथ कारगिल की जंग लड़ी। इसके बाद बनी कई समितियों ने थिएटर कमांड और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद की स्थापना के सुझाव दिए थे।
अभी देश में करीब 15 लाख सशक्त सैन्य बल है। इन्हें संगठित और एकजुट करने के लिए थिएटर कमांड की जरूरत है। एक साथ कमांड लाने पर सैन्य बलों के आधुनिकीकरण का खर्च कम हो जाएगा। किसी भी आधुनिक तकनीक का प्रयोग सिर्फ एक ही सेना नहीं करेगी, बल्कि उस कमांड के अंदर आने वाले सभी सैन्य बलों को उसका लाभ मिलेगा।
थिएटर कमांड से तीनों सेनाओं के होगी साझा रणनीति
थिएटर कमांड बनती है और आने वाले समय में कोई युद्ध होता है तो उसमें इसका फायदा मिल सकता है। अभी तक होता ये है कि युद्ध की स्थिति में तीनों सेनाएं अपने-अपने हिसाब से तैयारियां करती हैं और जरूरत पड़ने पर ही कोऑर्डिनेशन करती हैं, लेकिन थिएटर कमांड होगी तो तीनों सेनाएं मिलकर तैयारी और रणनीति बना सकते हैं. इतना ही नहीं, थिएटर कमांड होने से टेकनीक और हथियार भी आसानी से साझा किए जा सकते हैं.
देश में अभी हैं 17 कमांड्स
देश में अभी तीनों सेनाओं के अलग-अलग 17 कमांड्स हैं। सात थल सेना के पास, सात वायुसेना के पास और तीन नौसेना के पास। इसके अलावा एक स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड है जो परमाणु शस्त्रागार को सुरक्षा देता है और उसे संभालता है। इसकी स्थापना वर्ष 2003 में की गई थी। इनके अलावा देश में सिर्फ एक थिएटर कमांड है। इसकी स्थापना वर्ष 2001 में अंडमान-निकोबार में की गई थी।
चीन-पाक के लिए बिपिन रावत ने बनाया था प्लान
उल्लेखनीय है कि बिपिन रावत 4 थिएटर कमांड पर काम कर रहे थे। बिपिन रावत चीन और पाकिस्तान की हरकतों पर नजर रखने के लिए ये थिएटर कमांड बनाना चाहते थे। जून 2021 में आज तक को दिए इंटरव्यू में जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि भारत 2022 तक थिएटर कमांड बना लेगा। उन्होंने कहा था कि हमारी समुद्री सीमाएं बहुत बड़ी हैं। जम्मू-कश्मीर और एलएसी की सीमाएं अनसुलझी हैं, इसलिए हमने लैंड बेस्ड कमांड तैयार किया है। पूर्वी और पश्चिमी थिएटर पर ध्यान दिया जाएगा।
अमेरिका, चीन सहित इन देशों में भी हैं थिएटर कमांड्स
अमेरिका में अभी कुल मिलाकर 11 थिएटर कमांड्स हैं। इनमें से 6 पूरी दुनिया को कवर करते हैं। वहीं, चीन के पास भी 5 थिएटर कमांड्स हैं। चीन भारत को अपने पश्चिमी थिएटर कमांड के जरिए हैंडल करता है। इसी कमांड से वो भारत-चीन सीमा पर निगरानी रखवाता है। रूस के पास भी 4 थिएटर कमांड्स हैं।