कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर लगाया 25 हजार का जुर्माना
उद्धव ठाकरे को कोर्ट ने दी बड़ी राहत
मुंबई । बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके परिवार को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने ठाकरे परिवार की कथित आय से अधिक संपत्ति की जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया। उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के सदस्यों की आय से अधिक संपत्ति के आरोपों की जांच की मांग वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति धीरज सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति वाल्मीकि एसए मेनेजेस की पीठ ने याचिकाकर्ता के इस तर्क को खारिज कर दिया कि प्रतिवादी ठाकरे परिवार की संपत्ति में अचानक वृद्धि हुई है।
पीठ ने अपने 22 पेज के आदेश में कहा कि बीएमसी में कथित भ्रष्टाचार और ठाकरे परिवार की संपत्ति में वृद्धि का कोई सीधा संबंध नहीं है। याचिकाकर्ता लगातार सीबीआई या अन्य केंद्रीय एजेंसी से मामले की जांच कराने की मांग कर रहा है, जबकि पूरा मामला संदेह और झूठे आरोपों पर आधारित है। संविधान के अनुच्छेद-226 के तहत असाधारण अधिकार को गारंटी देने वाला यह मामला नहीं है। पीठ ने कहा कि हम मानते हैं कि वर्तमान याचिका और कुछ नहीं, बल्कि कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इसीलिए याचिकाककर्ता पर 25 हजार रुपये की जुर्माना के साथ याचिका खारिज किया जाता है। याचिकाकर्ताओं को यह राशि दो महीने की अवधि के भीतर अधिवक्ता कल्याण कोष में जमा करना होगा।
याचिकाकर्ता गौरी भिड़े ने व्यक्तिगत रूप से दावा किया कि उद्धव ठाकरे, उनके बेटे आदित्य और पत्नी रश्मि ने अपनी आय के आधिकारिक स्रोत के रूप में कभी भी किसी सेवा, पेशे या व्यवसाय का खुलासा नहीं किया, लेकिन उनके पास मुंबई और रायगढ़ जिले में करोड़ों की संपत्ति है। उन्होंने मार्मिक और सामना की आय को लेकर भी सवाल उठाए थे। भिड़े ने मुंबई पुलिस आयुक्त और ईओडब्ल्यू से भी इस मामले की शिकायत करने का दावा किया। कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्हें हाई कोर्ट में पीआईएल करना पड़ा।
ठाकरे परिवार की ओर से वरिष्ठ वकील अस्पी चिनॉय और अशोक मुंदरगी ने पैरवी की। याचिका का विरोध करते हुए उन्होंने तर्क दिया कि एक पेपर प्रकाशन मुनाफा कमा रहा था, तो इसका मतलब यह नहीं होगा कि प्रकाशन में भ्रष्टाचार था। मुंदरगी ने कहा कि किसी भी कोर्ट में हस्तक्षेप करने के लिए एक संज्ञेय अपराध होना चाहिए।