भोपाल/इन्दौर । म.प्र. के दाल उद्योगो के हित में राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिये मंगाये जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क से छूट की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भाजपा संगठन की मीटिंग मे कर दी है जिससे सम्पूर्ण दाल उद्योग मे हर्ष व्याप्त है।
ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री ने भोपाल में विगत 15 दिसम्बर को ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के प्रतिनिधि मण्डल से मुलाकात में अतिशीघ्र मंडी शुल्क समाप्त करने की बात कही थी। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के प्रतिनिधि मण्डल ने भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कटनी के विधायक संदीप जायसवाल के नेत्रत्व में मुख्यमंत्री निवास पर मुलाकात की थी।
प्रतिनिधि मण्डल से चर्चा में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने स्पष्ट आश्वासन दिया था कि म.प्र. की दाल इंडस्ट्रीज़ की समस्याए अत्यंत गंभीर है। उन्होने कहा था कि में प्रदेश के दाल उद्योगों को किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं आने दूंगा और न ही उद्योगों को प्रदेश से पलायन करने दूंगा दाल उद्योगो की सभी प्रकार की समस्याओ के निवारण और समाधान के लिए म.प्र. सरकार प्रतिबद्ध है। म.प्र. के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाये जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क से छूट की घोषणा 2 दिन में समीक्षा के बाद कर दी जावेगी।
प्रतिनिधि मण्डल ने मुख्यमंत्री को म.प्र. के से आने वाले दलहन पर मंडी शुल्क लगने के कारण प्रदेश के दाल उद्योगों पर होने वाले विपरीत प्रभावों से अवगत कराते हुए बताया था कि म.प्र. में मण्डी शुल्क 1.70 प्रतिशत होने के कारण मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्यों गुजरात के – बड़ौदा दाहोद गोधरा हिम्मतनगर एवं महाराष्ट्र राज्य के – जलगांव भुसावल धुलिया एवं नागपुर की दालें म.प्र. में आकर दालें बिक रहीं हैं क्योंकि वहां मण्डी शुल्क कम है। म.प्र. की दाल इंडस्ट्रीज की दालें मण्डी शुल्क के कारण मंहगी होने से दालो की बिक्री कम हो रही हैं तथा प्रदेश की दाल मिलों का उत्पादन धीरे-धीरे कम हो रहा है। म.प्र. में गेहूं सोयाबीन तथा चना की पैदावार बहुत अधिक होती है इसलिए तुअर उड़द और मुंग म.प्र. राज्य के बाहर से मंगवाना पड़ता है। मण्डी शुल्क की छूट स्थाई रूप से नहीं मिलने से दाल उद्योगों द्वारा दाल बनाने के लिए म.प्र. के बाहर से कच्चा माल (दलहन) – तुअर/अरहर उड़द/उरदा मूंग मसूर मटर व चना मंगवाने पर पडोसी राज्यों महाराष्ट्र व गुजरात के अनुसार ही म.प्र. में पॉलिसी बनाना चाहिए।
अन्य राज्यों मे मंडी शुल्क की जानकारी से सचिव को अवगत कराया गया –
राज्य का नाम मंडी शुल्क कुल मंडी शुल्क
गुजरात में प्रति ट्रक दस लाख की कीमत पर 0.50% 5000/-
महाराष्ट्र में प्रति ट्रक दस लाख की कीमत पर (सेस) 0.80% 8000/-
म.प्र. में प्रति ट्रक दस लाख की कीमत पर 1.70% 17000/-
ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि मध्य प्रदेश में मंडी शुल्क खरीदी पर लगता है। म.प्र. के व्यापारी व दाल मिलर्स म.प्र. में दलहन खरीदने पर मण्डी शुल्क का नियमित भुगतान कर रहे हैं। जबकि महाराष्ट्र गुजरात छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में बाहर से (अन्य राज्यो से) कृषि उपज दलहन – तुअर उड़द मूंग मटर मसूर व चना आदि खरीदकर दाल बनाने पर मण्डी – शुल्क नहीं लगता है। इसी प्रकार गुजरात महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ राज्यों में उन राज्यों के बाहर से दलहन मंगा कर (दाल बनाने पर) मण्डी शुल्क नहीं लगता है। जबकि म.प्र. में स्थापित पुरानी दाल मिलों द्वारा म.प्र. के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाए जाने वाले दलहन – तुअर/अरहर उड़द/उरदा मूंग मसूर मटर पर मंडी फीस के भुगतान से अधिसूचना क्र. डी-15-11-2005-चौदह-3 भोपाल दिनांक 01.08.2018 से छूट प्राप्त थी जो कि दिनांक 31 जुलाई 2019 को समाप्त हो चुकी है।
म.प्र. के बाहर से दाल बनाने हेतु मंगाए जाने वाले कच्चे माल (दलहन) पर मण्डी शुल्क से छूट के कारण ही म.प्र. की दाल उद्योग (दाल इंडस्ट्रीज) चल पा रही थी और गुजरात महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ राजस्थान आंध्रप्रदेश कर्नाटक सहित देश के अन्य राज्यों के दाल उद्योगों से कड़ी प्रतिस्पर्धा करके दाल मिल कारखाने म.प्र. में चल रहें थे।
म.प्र. में उत्पादित दलहन- तुअर उड़द मूंग मसूर आदि से लगभग चार माह तक ही म.प्र. की दाल मिलें चल पाती हैं क्योंकि तुअर उड़द एवं मूंग का उत्पादन म.प्र. में बहुत कम होता है। कारखाने चलाने के लिए दाल इंडस्ट्रीज को अन्य प्रदेशों – गुजरात महाराष्ट्र राजस्थान कर्नाटक तमिलनाडु आंध्रप्रदेश छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से दलहन मंगवाकर दाल बनाना पड़ता हैं।
महाराष्ट्र व गुजरात की राज्य सरकारो ने अपने राज्यों की दाल मिलों को राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाए जाने वाले दलहन पर कई वर्षों से मण्डी शुल्क से छूट प्रदान कर रखी है। म.प्र. के बाहर से दलहन को म.प्र. में दाल बनाने के लिए लाये जाने पर मण्डी शुल्क से स्थाई रूप से छूट प्रदान की जाना चाहिए जिससे म.प्र. में दाल मिल कारखाने चल सकें।
विदेशों से आयातित दलहन समुद्र के रस्ते मुंबई पोर्ट पर आता है महाराष्ट्र के जलगांव अकोला व नागपुर और गुजरात के दाहोद दाल मिलों के बड़े सेंटर बन गए हैं जहाँ काफी दाल मिलें हैं। म.प्र. के दाल मिलों को उनसे कड़ी प्रतिस्पर्धा करना पड़ती है म.प्र. में दलहन मंगवाने पर डीज़ल की कीमत बढ़ने से ट्रक भाड़ा भी अधिक लगता है राज्य के बाहर से दाल मिलों द्वारा मंगाये जाने वाले दलहन पर मण्डी-शुल्क की छूट दिनांक 01.08.2018 से प्राप्त थी जो कि 31.07.2019 को समाप्त हो चुकी है अतः अनुरोध है कि मण्डी शुल्क से स्थाई छूट मिले ताकि म.प्र. के दाल उद्योग सुचारु एवं निर्बाध रूप से चल सकें।
मुख्यमंत्री ने इस सम्बंध मे गंभीरता पूर्वक विचार कर अतिशीघ्र मंडी शुल्क से छूट देने का जो आश्वासन दाल उद्योग को दिया था उस पर सकारात्मक निर्णय लेकर जो घोषणा की है उसके लिए सम्पूर्ण प्रदेश के दाल उद्योगों की ओर से उनका आभार मानते हुए साधुवाद दिया गया है।