भोपाल । मध्यप्रदेश में इन दिनों मंत्री विधायकों और भाजपा नेताओं द्वारा बड़े पैमाने पर हर जिले में और हर विधानसभा क्षेत्र में भागवत कथा राम कथा और भंडारे के आयोजन किए जा रहे हैं।
इसके लिए बड़े-बड़े कथावाचक जो भक्तों को अपनी और आकर्षित कर सकें। उनकी मांग बड़े पैमाने पर बढ़ गई है। लाखों रुपए खर्च करके प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में यह आयोजन किए जा रहे हैं। भंडारे में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहु -पाहुने चूल के न्योते के साथ आमंत्रित किए जाते हैं। लंगर में पूरी सब्जी खीर एवं मीठा इत्यादि का पर्याप्त इंतजाम किया जाता है। कथा सुनने के लिए महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। 2023 का विधानसभा चुनाव भाजपा के उम्मीदवारों को कथा और भंडारे से जीतने की उम्मीद है। अब इस होड़ में कांग्रेस के नेता भी शामिल हो गए हैं।
भंडारे और कथा की होड़
भाजपा नेताओं द्वारा शुरू की गई कथा और भंडारे में उमड़ती भीड़ को देखकर अब कांग्रेस के विधायक और नेता भी चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए अपने विधानसभा क्षेत्र में कथा और भंडारे का आयोजन करने लगे हैं। जिससे प्रतिस्पर्धा का माहौल बन गया है। आम जनता इस समय
धर्ममय होकर कथा सुनकर भंडारे की प्रसादी पाकरअपने आपको धन्य मान रही है।
कथावाचकों की पौ-बारह
मध्यप्रदेश में जिस तरह से कथा वाचकों की मांग बढ़ी है। इससे उनकी शर्तें और दक्षिणा की मांग भी कई गुना बढ़ गई है। कथावाचक मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश गुजरात और समीपवर्ती राज्यों से भी बुलाए जा रहे हैं। जो जितना बड़ा नामचीन कथावाचक है। उसके आयोजन में लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं। कथावाचक की तिथि के अनुसार कथा और लंगर के कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। कथावाचक में कमल किशोर नागर अयोध्या के नेपाली बाबाबागेश्वर धामजया किशोरी सहित दर्जनों बाबा कथा वाचन के काम में लगे हुए हैं। इनसे अग्रिम बुकिंग करानी पड़ रही है।
नेताओं के चर्चित नाम
चुनावी वैतरणी पार करने के लिए जिन नेताओं ने अभी तक कथा का आयोजन कर लिया है। उनमें मंत्री गोपाल भार्गवमंत्री भूपेंद्र सिंहमंत्री नरोत्तम मिश्रामंत्री कमल पटेल परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया मंत्री तुलसी सिलावटबृजेंद्र सिंहकांग्रेस विधायक संजय शुक्ला बड़े नाम हैं। इसके अतिरिक्त अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में अपनी हैसियत के अनुसार विधायक और राजनेता इन दिनों भागवत कथा राम कथा और मतदाताओं को आकर्षित कर सकने वाले कथाकारों की तलाश करके कथाऔर लंगर आयोजित कर चुनाव जीतने की जुगत में लगे हैं।
जिस भी जिले में भी आप जाएं वहाँ दो-तीन कथाओं के आयोजन आसानी से होते हुए मिल जाते हैं। बड़ी संख्या में ट्रैक्टरट्राली और वाहनों से श्रोताओं को लाया जाता है। उन्हें लंगर भी खिलाया जाता है। नेताओं का मानना है कि जो एक बार लंगर खाकर चला जाएगा। निश्चित रूप से वह उन्हें वोट भी देगा। इस बहाने नेता अपनी लोकप्रियता और धार्मिकता दोनों से मतदाताओं को अपने आप से जोड़ लेते हैं। यही चुनाव जीतने का एकमात्र मंत्र है।