हल्द्वानी । हिंदुओं के पवित्र धार्मिक स्थल श्री बदरीनाथ धाम के कपाट आज से शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। शनिवार 19 नवंबर शाम 3 बजकर 35 पर भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। इसको लेकर सारी तैयारियां शुक्रवार को ही पूरी कर ली गई थीं। कपाट बंद होने से पहले हजारों श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुंचे और कपाट बंद होने की धार्मिक प्रक्रिया के गवाह बनेंगे।
बदरीनाथ कि पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल के मुताबिक कपाट बंद होने से पहले ही भगवान बदरीविशाल को ऊनी घृत कंबल ओढ़ाया जाएगा। यह ऊनी घृत कंबल माना गांव की महिला मंगल दल की महिलाओं ने तैयार किया है, जिसे घी में भिगोकर तैयार किया गया है। इस घृत कंबल को मंदिर के मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी भगवान को अर्पित करेंगे। इससे पहले शनिवार को रावल यानी मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी स्त्री का वेश धारण कर माता लक्ष्मी की प्रतिमा को बदरीनाथ धाम के गर्भ गृह में प्रतिष्ठापित करेंगे और उद्धव और कुबेर जी की प्रतिमा को मंदिर परिसर में लाया जाएगा।
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही उत्तराखंड में स्थित गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम की यात्रा भी आज संपन्न होगी। इस साल साढ़े सत्रह लाख से ज्यादा तीर्थयात्री भगवान बदरीनाथ के दर्शन कर चुके हैं। बदरीनाथ के कपाट बंद होने के बाद उद्धव और कुबेर जी की डोली बामणी गांव में पहुंचेगी, जबकि शंकराचार्य जी की गद्दी रावल निवास में आज रात्रि विश्राम करेगी। कल यानी रविवार सुबह को पावन गद्दी और उद्धव-कुबेर जी की मूर्ति पांडुकेश्वर के लिए रवाना की जाएगी । 21 नवंबर को शंकराचार्य जी की गद्दी जोशीमठ के नरसिंह मंदिर पहुंचेगी और शीतकाल में यहीं रहेगी।
भगवान बदरी विशाल के दर्शन के लिए इस साल कई हस्तियां पहुंची, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी थे। पीएम मोदी ने अपनी उत्तराखंड यात्रा के दौरान एक रात बदरीनाथ धाम में ही गुजारी थी। प्रधानमंत्री ने सीमा पर स्थित भारत के पहले और अंतिम गांव माणा से कई विकास कार्यों का भी ऐलान किया। सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब के लिए गोविंदघाट से रोपवे की घोषणा की, साथ ही केदारनाथ के लिए भी रोपवे का ऐलान हुआ।
शीतकाल के दिसंबर माह से लेकर मई माह तक बदरीनाथ धाम बर्फ की सफेद चादर में लिपटा रहता है। दिसंबर से फरवरी तक धाम से हनुमान चट्टी तक तकरीबन 10 किलोमीटर तक बर्फ जम जाती है। इस दौरान बदरीनाथ धाम में पुलिस के कुछ जवानों के साथ ही मंदिर समिति के दो कर्मचारी तैनात रहते हैं। चीन सीमा से जुड़ा इलाका होने के कारण माणा गांव में आइटीबीपी के जवान तैनात रहते हैं। कपाट बंद होने पर बामणी और माणा गांव के लोग और अन्य व्यवसाय बदरीनाथ धाम छोड़ कर निचले हिस्सों में चले जाते हैं। सेना के जवानों को छोड़कर किसी भी आम व्यक्ति को हनुमान चट्टी से आगे जाने की अनुमति नहीं होती।