नई दिल्ली । केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ऐसी विश्व व्यवस्था में यकीन नहीं रखता है, जहां कुछ देशों को दूसरों से श्रेष्ठ माना जाता है। उन्होंने कहा कि अगर सुरक्षा वास्तव में सामूहिक उद्यम बन जाती है, तब सभी के लिए फायदेमंद वैश्विक व्यवस्था बनाने की संभावना तलाशी जा सकती है। राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय में सिंह ने साइबर युद्ध कौशल को लेकर आगाह कर कहा कि इससे अहम बुनियादी ढांचों की भेद्यता बढ़ गई है।
सिंह ने कहा, मैं आपको बताना चाहता हूं, कि हमारी सामरिक नीति का आचरण नैतिक होना चाहिए। भारत ऐसी व्यवस्था में यकीन नहीं रखता है जहां कुछ देशों को दूसरों से श्रेष्ठ माना जाता है। उन्होंने कहा, भारत के कृत्य मानवीय समानता और प्रतिष्ठा के मूल सार द्वारा निर्देशित हैं जो हमारे प्राचीन मूल्यों तथा उसके मजबूत नैतिक आधार का हिस्सा है और हमें राजनीतिक शक्ति देते हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर सुरक्षा वाकई सामूहिक उद्यम बन जाती है, तब हम ऐसी वैश्विक व्यवस्था बनाने के बारे में सोच सकते हैं जो हम सभी के लिए फायदेमंद हो। उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादन और वितरण जैसे अहम ढांचे तेजी से अधिक जटिल बन रहे हैं तथा ऐसी चुनौतियों से प्रभावी रूप से निपटने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र साइबर हमलों के मुख्य निशानों में से एक है, लेकिन यह इकलौता नहीं है। उन्होंने कहा कि परिवहन, सार्वजनिक क्षेत्र की सेवाएं, दूरसंचार तथा अहम विनिर्माण उद्योग भी कमजोर हैं।
उन्होंने कहा, हमें संकीर्ण स्वार्थों के अनुसार नहीं चलना चाहिए, जो दीर्घकाल में फायदेमंद नहीं है। रक्षा मंत्री ने कहा कि दूसरों को नुकसान पहुंचाकर मजबूत तथा समृद्ध भारत नहीं बनाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘इसके बजाय भारत दूसरे राष्ट्रों को अपनी क्षमता का अहसास कराने में मदद करता है। उन्होंने कहा, हमारी एक-दूसरे से जुड़ी वित्तीय प्रणालियां भी खतरे में हैं। आप सभी को पता होना चाहिए कि फरवरी 2016 में हैकरों ने बांग्लादेश के सेंट्रल बैंक को निशाना बनाया और एक अरब डॉलर चुराने की कोशिश की थी। हालांकि, ज्यादातर लेनदेन रोक दिए गए लेकिन 10.1 करोड़ डॉलर अब भी गायब हैं।’’
सिंह ने कहा, यह वित्तीय दुनिया के लिए खतरे की घंटी है, कि वित्तीय प्रणाली में साइबर जोखिमों को बहुत कम आंका गया है। अगर आज यह सवाल नहीं है कि प्रमुख साइबर हमला वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा नहीं है, तब फिर कब यह सवाल बनेगा।’’सिंह ने बताया कि सूचना युद्ध कौशल में राजनीतिक स्थिरता को खतरा पहुंचाने की क्षमता है। उन्होंने कहा, ‘‘इसका कोई हिसाब नहीं है कि सोशल मीडिया मंचों के जरिए समाज में फर्जी खबरें तथा घृणा फैलाने वाली कितनी सामग्री लाए जाने की आशंका है।