मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं हैं, प्रभार दिया है*
मंदिर प्रशासक केपी तिवारी से जब मंदिर की व्यवस्था को लेकर सवाल किए तो उन्होंने कहा कि मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं हैं। यहां की व्यवस्था का प्रभार समिति कर्मचारी संध्या मार्कण्डेय मैडम देख रही हैं
*प्रवेश और निर्गम द्वार एक ही दर्शन व्यवस्था बिगड़ी, धक्के खा रहे श्रद्धालु*
*उज्जैन*।प्रशासन के आधिपत्य वाले शासकीय मंदिरों में व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी मंदिरों की समितियों के पास है। लेकिन समिति है कि वे अपनी सुविधाओं का ख्याल रखते हुृए सारे इंतजाम कर रही है और इसका खामियाजा मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं को झेलना पड़ता है। काल भैरव मंदिर प्रबंध समिति के मनमाने निर्णयों से हजारों श्रद्धालु परेशान हैं।
काल भैरव मंदिर में दर्शन के लिए देशभर से हजारों भक्त आ रहे हैं। लेकिन यहां की अव्यवस्थाओं से उनकी आस्था को चोंट पहुंच रही हैं। रविवार को यहां पर इतनी अधिक भीड़ थी कि धक्कामुक्की होती रही लेकिन व्यवस्था बनाने के कोई इंतजाम नहीं किए गए। धक्के से एक महिला गिर गई, उसे हल्की चोटें भी आई। तीखी धूप और पथरीले रास्ते से होकर दिनभर भक्त गुजर रहे हैं।
जिम्मेदारों का भी इस ओर ध्यान नहीं हैं। श्री महाकाल के बाद काल भैरव मंदिर में ही सबसे अधिक दर्शनार्थी पहुंचते हैं। रविवार को यहां पर भगवान काल भैरव के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे थे। मुख्य द्वार पर उनका अव्यवस्था से सामना हुआ। घंटों धूप मेें खड़े रहे।
न तो धूप से बचाव के शेड के इंतजाम थेे और न ही पुलिस या होमगार्ड का जवान तैनात था जो व्यवस्था बना सके। मंदिर में प्रवेश के लिए धक्कामुक्की होती रही। निर्गम और प्रवेश द्वार एक ही होने से सबसे ज्यादा परेशानी हो रही हैं। समिति के कर्मचारी अलग से दुव्र्यवहार करते रहे। स्मार्ट सिटी द्वारा यहां पर निर्माण कार्य भी करवाया जा रहा है जिससे यहां कंकर-चूरी के कारण आना-जाना भी मुश्किल हो रहा है।
अव्यवस्था: मंदिर परिसर में प्रवेश और निर्गम का एक ही रास्ता है और मुख्य निर्गम द्वार को प्रोटोकाल के लिए ताला लगाकर बंद करने से होती है अव्यवस्था और धक्का मुक्की।
*जिसकी जमीन उसकी पार्किंग*
प्रतिदिन काल भैरव मंदिर में हजारों भक्त आते हैं लेकिन यहां पर पार्किंग के कोई इंतजाम नहीं हैं। खाली पड़ी जमीनों पर निजी पार्किंग बना दी गई हैं। दिनभर ये लोग ही वसूली करते हैं। इस संबंध में जेल अधीक्षक बताती है कि यहां पर पार्किंग को लेकर अक्सर विवाद होते हैं। मंदिर के रास्ते पर दोनों ओर जमीन खाली है जहां पर पार्किंग के इंतजाम किए जा सकते हैं
यहां पर प्रोटोकाल व्यवस्था का जिम्मा कर्मचारी सचिन तिवारी को दिया गया है। वह व्यवस्था बनाने के बजाय दुव्र्यवहार करता नजर आता है। चिल्लाकर कहता है कि यहां के कलेक्टर तो हम ही हैं। किसी से भी शिकायत कर लो, जो कुछ भी होगा हमारी मर्जी से होगा। वहीं प्रशासक की अनुपस्थिति में प्रभार संध्या मार्कण्डेय संभालती हैं उनका व्यवहार भी ठीक नहीं हैं।
*पीने के पानी का इंतजाम नहीं, एक वॉशरूम उसमें भी सफाई नहीं*
काल भैरव मंदिर में समिति द्वारा भक्तों की सुविधा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। यहां पर पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। लोगों को पानी की बोतल खरीदना पड़ती है। वहीं एकमात्र वॉशरूम हैं जिसकी सफाई ही नहीं होती है। महिला श्रद्धालुओं को खासी परेशानी होती हैं।
स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा यहां पर निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। इस कारण यहां पर फर्श पर सीमेंट और चूरी फैल रही है। नंगे पैर चल रहे भक्तों के पैरों में गिट्टी कंकर चुभते रहते हैं। यहां पर मंदिर समिति को मेट बिछाने के इंतजाम करना चाहिए।
*सवारी की व्यवस्था का जिम्मा जेल प्रशासन के पास*
काल भैरव की डोल ग्यारस और भैरव अष्टमी को सवारी निकलती है। इसकी व्यवस्था का जिम्मा मंदिर से चंद कदम दूरी पर स्थित केंद्रीय जेल भैरवगढ़ प्रशासन संभालता है। जेल अधीक्षक उषा राजे चर्चा में बताती है कि १७ नवंबर को भैरव अष्टमी को सवारी निकलेगी। इस दौरान हजारों भक्त शामिल होंगे। फिलहाल मंदिर में भैरव अष्टमी की तैयारी चल रही हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों अवसरों पर निकलने वाली काल भैरव भगवान की पालकी को लेकर केंद्रीय जेल भैरवगढ़ का प्रशासन जिला प्रशासन से समन्वय कर सारी व्यवस्थाएं करता है।