निप्र,रतलाम मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के पिपलोदा व जावरा ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की दशा दिन प्रतिदिन खस्ता होती जा रही है जिसका सीधा प्रभाव बच्चों के स्कूल जाने के प्रति कम रुचि व माता पिता के द्वारा शासकीय स्कूलों में बच्चो के दाखिले से ज्यादा प्राईवेट स्कुल में दाखिला करवाना आंशिक रुपों को व्यक्त करता है,जिसे शासकीय स्कूलों के जर्जर होते भवन एवं स्कूलों में छात्र छात्राओं की सुविधा के लिए पीएचई विभाग द्वारा पेयजल यूनिटों का घटिया और गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य से परिभाषित किया जा सकता हें । जहां विभागीय अफसरों की मिलीभगत से निर्माणकर्ता ठेकेदार द्वारा कोई उचित प्रबंधन नही किया, जिससे शासन का जल जीवन मिशन का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम फ्लाप शो साबित हुआ, तथा यह अभियान औपचारिक बनकर रह गया ।जावरा व आलोट विधानसभा क्षेत्र में कई सरकारी स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों के परिसरों में पीएचई विभाग द्वारा जल जीवन मिशन के तहत बच्चों की सुविधा के लिए महत्वपूर्ण पेयजल यूनिटों का निर्माण किया गया है। यूनिट में लगाए गए टाइल्स टूट गए हैं तो अन्य निर्माण भी खस्ताहाल है। यूनिट के माध्यम से जो पाइप, नल टोंटी, पानी की मोटर इत्यादि का प्रयोग किया गया है वह भी अत्यंत घटिया किस्म के हैं। जिससे शुरूआती दौर में ही वे खराब रहे । इसके अलावा जहां पेयजल स्रोत ठप हैं वहां भी यूनिट बना दी गई है। लेकिन जिम्मेदार जिला प्रशासनिक अधिकारी व शासन के जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई सुध नही ली जा रही, वर्षों से जावरा की शान रहें गोविंद राम तोंदी पॉलिटेक्निक कॉलेज के लाखों रुपये मे बने छात्रावास इस बात का सबूत है जहाँ सिर्फ व्यवस्था नाम की है जावरा स्थित कमला नेहरू स्कुल का जर्जर भवन के लिए लाखों रुपये स्वीकृत होने के बाद भी स्कुल में कोई कार्य शुरु नही किया गया ओर पुर्व मे जिन ठेकेदारों द्वारा स्कुल के लिए अतिरिक्त ब्लाक बनाए गए वे भी बरसात में छत से कक्षाओं में सीलन दिखाते नजर आए वही स्कूल केम्पस मे बने आदिवासी बालिका छात्रावास में भी छतों से पानी रिसने की समस्या उजागर हुई ,वही पोलीटेक्नीक कॉलेज में पानी की टंकी में मृत सांप पाए जाने पर भी कॉलेज प्रशासन पर कोई आधिकारिक कार्यवाही नही की गईं, जवाब मांगने पर कॉलेज प्राचार्य द्वारा जिला कलेक्टर के अधीन जांच की समीक्षा होने की बात की गईं, प्रदेश स्तर पर शिक्षा क्षेत्र में करोड़ो की सौगात मिलने पर भी व्यवस्था धूमिल नजर होती नजर आती है जहां शिक्षा के स्तंभ खस्ता होने पर भी कोई वैकल्पिक कार्य नहीं किया जाता,शिक्षा के लिए विद्यालय हो या महाविद्यालय खस्ता हालत होने पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता ,एक ओर प्रदेश मे जहा शिक्षा के लिए नियमितीकरण को लेकर शिक्षक आंदोलन करते हुए अपनी बात शासन तक पहुंचाते है लेकिन उनकी सुनवाई नहीं की जाती जिससे आए दिन शासकीय स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होती है कई स्कूलों में शिक्षकों का अभाव है प्राइवेट स्कूलों में स्नातक पास करने पर ही स्कुल में नौकरी दे दी जाती हैं और शिक्षकों पर अच्छे रिजल्ट के लिए प्रयास किया जाता हे लेकिन शासकीय स्कूलों में बीएड ओर डीएड की मांग के आधार पर ही शिक्षक को नौकरी दी जाती हैं, वही शिक्षकों को स्कुल के अतिरिक्त अन्य शासकीय कार्यों में भी पदस्थ कर दिया जाता हैं। जिससे स्कूल में अकारण वंश शिक्षा के लिए युवाओं को परेशान होना पड़ता है, लेकिन शिक्षा समस्याओं पर प्रदेश शासन ओर जिला शिक्षा अधिकारीयों द्वारा प्रयाप्त व्यवस्था पर कोई ध्यान नही दिया जाता हैं।