श्योपुर । देश में चीता रिटर्न की राजनीति के बीच मध्य प्रदेश के श्योपुर में कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकी देश नामीबिया से लाए गए 8 चीतों का नामकरण भी हो गया है। इन चीतों के नाम ओबान, फ्रेडी, सावन्नाह, आशा, सिबली, सैसा और साशा हैं। एक मादा चीते का नाम ‘आशा’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखा है। जबकि, बाकी अन्य चीतों के नाम नामीबिया में ही रखे गए थे। 17 सितंबर को नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क में इन चीतों को लाया गया। पीएम मोदी ने खुद बाड़े का गेट खोलकर इन्हें छोड़ा। पहले दिन अपने आप को नए परिवेश में देख कर चीते थोड़े से नर्वस हुए। लेकिन उनका व्यवहार सामान्य और सकारात्मक दिखा।
चीतों के लिए जो विशेष बाड़ा बनाया गया है वह उसमें घूम रहे हैं और सामान्य हैं। चीतों के सभी वाइटल पैरामीटर सामान्य हैं, सभी 8 चीते आराम से सो रहे हैं और घूम-फिर रहे हैं। चीतों को उनके लिए बनाए विशेष बाड़े में ही खाने के लिए गोश्त दिया जा रहा है। फिलहाल पार्क प्रबंधन चीतों के आचरण और व्यवहार से पूरी तरह संतुष्ट हैं।
बता दें कि बीते देश की धरती पर 74 साल बाद एक बार फिर चीते नजर आए हैं। साल 1952 में देश में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। लेकिन अब फिर से देश की धरती पर चीते फर्राटा भरते नजर आ रहे हैं। इन चीतों की रखवाली के लिए 90 गांव के 450 से ज्यादा लोगों को ‘चीता मित्र’ बनाया गया है। इनका काम शिकारियों से चीतों को बचाने की होगी। फिलहाल इन चीतों को 12 किमी के क्षेत्र में तैयार किए गए बाड़े में रखा गया है। जब सभी मादा और नर चीता आपस में घुल मिल जाएंगे तब उन्हें बाड़े से बाहर छोड़ा जाएगा। चीते झुंड में रहना पसंद करते हैं।
कूनो नेशनल पार्क का बफर जोन 1235 वर्ग किलोमीटर है। पार्क के बीच में कूनो नदी बहती है। कम ढाल वाली पहाड़ियां हैं। दक्षिण-पूर्वी इलाके में पन्ना टाइगर रिजर्व और शिवपुरी के जंगल हैं। इस इलाके के पास ही चंबल नदी बहती है। यानी चीतों के पास कुल मिलाकर 6800 वर्ग किलोमीटर का इलाका रहेगा। कूनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए भोजन के लिए बहुत कुछ है। जैसे- चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चिंकारा, चौसिंघा, ब्लैक बक, ग्रे लंगूर, लाल मुंह वाले बंदर, शाही, भालू, सियार, लकड़बग्घे, ग्रे भेड़िये, गोल्डेन सियार, बिल्लियां, मंगूज जैसे कई जीव हैं।