निप्र,रतलाम मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में स्थित कालूखेड़ा कृषि विज्ञान केंद्र जावरा द्वारा हाल ही में राजस्थान ,गुजरात, उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश में पशुओं में होने वाली लंपी वायरस बीमारी के चलते गोवंशो पर गाठदार त्वचा रोग देखने को मिले जोकि की सर्वप्रथम 1929 में अफ्रीका में पाए गए थे ,लेकिन कुछ सालों बाद यह बीमारी कई देशों में फैली भारत में बीमारी का मामला 2019 में उड़ीसा में पाया गया जिसके बाद वर्तमान में यह बीमारी भयावह रूप मे भारत के कई राज्यो में पाई गईं,यह बिमारी पशुओं मे एल.एस.डी केप्रीपॉक्स के रूप मे पाई जाती हे, उक्त जानकारी देते हुए पशु चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टर सुशील कुमार द्वारा बताया गया की यह बिमारी एक पशु से दुसरे पशु मे मच्छर मक्खी व चारे के जरिये फेलती हे,जोकि पशु भी एक राज्य से दुसरे राज्य मे परिवहन के जरिये पहुचाएजाते हे, जिससे यह अन्य राज्यो के पशुओं मे भी फ़ेल जाती हे,इस बिमारी मे पशुओं के शरीर पर गाठे बनती हे’,तेज बुखार आता हे,वही पशु के आखों व नाक से आशू आते हे वही सिर ,गर्दन, जननांगों के आस- पास दो पाँच सेन्टीमीटर की गाठ उभरती हे,गाय दूध देना बंद कर देती हे, पशु का गर्भपात हो जाता हे पशु की मौत भी हो जाती हे, जिसके बचाव के लिए पशुओं को संक्रामक पशुओं से दूर रखना चाहिये,गौ शाला मे कीटों की रोकथाम के लिए उपाय करना चाहिये,मुख्य रूप से मक्खी, मच्छर,पिस्सू का उचित प्रबंध करना चाहिए,पशुओं के इलाज मे उपयोगी समान खुले मे नही फेकना चाहिए,रोगी पशुओं को जल्द पशु चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए,वही रोकथाम के लिए टीकाकरण एंटीबायोटिक ,एंटीइन्फ्लेमेट्री , एवं एंटीहिस्टामिनीक,दवाए दी जा सकती हे,त्वचा के घावों के लिए दो प्रतिशत सोडियम हाइड्रोक्साइड,चार प्रतिशत सोडियम कार्बोनेट,व दो प्रतिशत फार्मेलीन द्वारा एंटीसेप्टिक समाधान कारगार हे।
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November 27, 2024