मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में मंत्री का दर्जा प्राप्त रहे संत मिर्ची बाबा को पुलिस ने दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। पीड़ित महिला ने आरोप लगाया कि बच्चा नहीं होने होने की फरियाद लेकर जब वह बाबा के पास गई तो उसे नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया। दुष्कर्म के आरोप में ग्वालियर से गिरफ्तार किया है। बाबा पर महिला ने भोपाल में केस दर्ज कराया था। ग्वालियर पुलिस ने बाबा को गिरफ्तार कर भोपाल क्राइम ब्रांच को सौंप दिया है।
कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में मिर्ची बाबा को मंत्री का दर्जा प्राप्त था। पीड़ित महिला ने आरोप लगाया था कि मिर्ची ने बच्चे पैदा होने का झांसा देकर नशे की गोलियां खिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था। इसी को लेकर आरोपी मिर्ची बाबा को पकड़ने के लिए भोपाल की पुलिस टीम बीती रात ग्वालियर पहुंची, जहां सुबह बाबा को एक होटल से गिरफ्तार कर ले गई है पीड़िता रायसेन की रहने वाली है।
28 वर्ष की महिला ने शिकायत में पुलिस को बताया है कि उसकी शादी को चार साल हो चुके हैं। बच्चे नहीं हैं। वह निसंतान है। इस वजह से मिर्ची बाबा के संपर्क में आई थी। बाबा ने 17 जुलाई को भोपाल के मीनाल रेसीडेंसी’ स्थित अपने कथित आश्रम में दुष्कर्म किया था। बाबा ने पूजा-पाठ कर संतान होने का दावा किया। उसे बुलाकर इलाज के नाम पर नशे की गोलियां खिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया।
संतान नहीं होने पर महिला गई थी बाबा के पास
मिर्ची बाबा पर आरोप लगाने वाली महिला ने शिकायत में कहा है कि उसे शादी के चार साल बाद भी संतान नहीं हो रही थी। इस वजह से मदद के लिए वह मीनाल रेसीडेंसी स्थित मिर्ची बाबा के स्थान पर गई थी। यहां उसे नशीली दवा पि
लाकर बेहोश किया गया। इसके बाद उसके साथ दुष्कर्म किया गया। धमकाया भी कि अगर किसी को शिकायत की तो बच्चा पैदा नहीं होगा या विकारों के साथ पैदा होगा। महिला ने अपने परिजनों के साथ थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई है।
कौन है मिर्ची बाबा
वैराग्यानंद गिरी महाराज उर्फ मिर्ची बाबा ने वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में चर्चा में आए थे। जब उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह की जीत सुनिश्चित करने के लिए पांच क्विंटल लाल मिर्ची का हवन किया था। साथ ही ऐलान किया था कि यदि दिग्विजय सिंह चुनाव नहीं जीते तो वह जल समाधि ले लेंगे। चुनाव में भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर विजयी हुई। मिर्ची बाबा की जल समाधि पर सवाल उठे। इसके बाद वे गायब हो गए थे। फिर अपने वकील के माध्यम से भोपाल कलेक्टर से जल समाधि की अनुमति मांगी, जिसे अमान्य कर दिया गया।