जमुई : दिनांक 10/07/2022 (चंदन चौबे ) जमुई सांसद चिराग पासवान के द्वारा न्यूज़ चैनलों को दिए इंटरव्यू में कहा कि बिहार के सरकारी स्कूलों में जब नेताओं के बच्चे पढेंगे तभी सरकारी स्कूलों की हालात और पढ़ाई लिखाई में सुधार हो सकती है!
इस ख़बर को आरे हांथो लेते हुए युवा बिहार सेना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजी राजकुमार पासवान ने कहा की बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर जब स्व चिराग पासवान बोलते हैं तो हमें हंसी आती है! जिनका खुद का शैक्षणिक योग्यता और पढ़ाई-लिखाई एक साधारण छात्र से भी घटिया है! वो बात कर रहे हैं बिहार की शिक्षा व्यवस्था सुधारने की जिन्होंने अपने 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव के हलफनामे में निर्वाचन आयोग को दिए जानकारी के अनुसार चिराग पासवान ने घर बैठे मैट्रिक-1998 में, फिर पांच साल बाद घर बैठे इंटरमीडिएट(12th) 2003 में और इंजीनियरिंग 2005 के उस साल में दो सेमेस्टर के बाद तीसरे सेमेस्टर का पता नहीं!
चिराग पासवान से बिहार के 13 करोड़ जनता ये जानना चाहती है कि अभी वर्तमान में आपके परिवार यानी स्व रामविलास पासवान एंड परिवार पार्टी के कितने सदस्य बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई लिखाई कर रहें हैं और खुद चिराग पासवान बिहार के किस सरकारी स्कूल से अपनी पढाई पूरी किया है!
आगे युवा बिहार सेना के राष्ट्रीय श्री पासवान ने कहा कि आज देखा जाए तो बिहार के शिक्षा व्यवस्था बर्बाद होने का मुख्य सूत्रधार है तो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व जगरणाथ मिश्र कांग्रेस की सरकार , 15 साल वाली लालू – राबड़ी की सरकार, स्व रामविलास पासवान और अब नीतीश-भाजपा की सरकार मुख्य रूप से जिम्मेवार है!
ये सारे जातिय नेतृत्व करता कभी नहीं चाहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था बेहतर हो ! इन लोगों की यही सोच रही है कि ज्यादा से ज्यादा जनता अनपढ़ रहे तभी वो मेरा बात सुनेंगे, मेरा गुलाम, मेरा जिंदाबाद करेंगे और मेरे सामने कभी सर उठाने की हिम्मत नहीं करेंगे! अगर सरकारी स्कूलों में अच्छी पढ़ाई-लिखाई होगी तो वो लोग अपने अधिकारों को समझेंगे और हम नेताओं से जनता ज्यादा से ज्यादा सवाल करेंगे!
इसलिए आज तक देखा जाए तो बिहार के प्राथमिक स्कूल से लेकर हाई स्कूल के बच्चों को बिहार में अच्छी पढ़ाई लिखाई नहीं मिल रही है!
आज देश के शिक्षा व्यवस्था में सरकार के द्वारा दो तरह की पढ़ाई दि जा रही है एक टाई वाला और दुसरा खिचड़ी वाला! टाई वाले स्कूल में पूंजीपतियों के बच्चे पढते हैं और खिचड़ी वाली स्कुल में 65% गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे पढते हैं!
जिस सरकारी स्कूलों में अगर पहली क्लास में 10 बच्चे का नामांक लिया तो स्नातक तक एक बच्चा ही पहुँच पाता है! ये हालात है आज बिहार के सरकारी स्कूलों में और बिहार के शिक्षा व्यवस्था की!