उज्जैन के हर बड़े मंदिरों की हालत यही भगवान दूर होते जा रहे हैं भक्तों से हर बड़े मंदिरों का व्यवसायीकरण
उज्जैन।मंगलनाथ मंदिर पर सबकुछ मंगल नहीं चल रहा है। यहां गर्भगृह में प्रवेश करना है तो 100 रूपए की रसीद कटवाओ। उसके बाद ही शिवलिंग को जल चढ़ाया जा सकता है। गरीब श्रद्धालुओं के लिए यहां भी भगवान दूर होते जा रहे हैं। यह सबकुछ किया धरा है मंदिर प्रबंध समिति का,जो केवल आय बढ़ाने पर ध्यान दे रही है।दो घण्टे तक नजारा देखा तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। 100 रूपए की दान की रसीद के बदले 1 से 5 लोग तक जल चढ़ाने प्रवेश कर गए। मौके पर मौजूद कर्मचारियों से पूछा गया तो उनका कहना था कि पण्डे,पुजारी स्वयं भक्तों की 100 रू. की रसीद कटवाते हैं और एक से अधिक को लेकर प्रवेश कर जाते हैं।
उन्हें कोई नहीं रोकता है प्रवेश करने से। यही कारण है कि आम श्रद्धालु जोकि 100 रूपए देने में सक्षम नहीं है, गर्भगृह में न तो प्रवेश कर पाता है और न ही उसकी कोई सुनता है। भक्तों का कहना था कि यहां हर चीज का पूरा व्यवसायीकरण कर दिया गया है।
मंदिर प्रशासक के.के. पाठक के अनुसार यह वाकया तब हुआ,जब वे अपने पारिवाकर कार्य के चलते देरी से मंदिर आए थे। नियम तो यही है कि 100 रू. की रसीद कटवाकर गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं।
लेकिन अनेक बार कोई आकर कहता है कि वह गरीब है और 100 रू. नहीं दे सकता है तो वे स्वयं उसे जल चढ़वाने ले जाते हैं। मंदिर समिति इतनी सख्त नहीं है।
उन्होंने स्वीकारा कि 100 रू. की रसीद पर पांच-पांच लोगों को ले जाया जाता है गर्भगृह में, जोकि गलत है भविष्य में ऐसा होने पर कार्रवाई करेंगे। उन्होने कहाकि शुल्क हटाने के संबंध में कलेक्टर और प्रबंध समिति ही तय कर सकती है। जो व्यवस्था है, उन्हें उसी अनुसार काम करना है।