नई दिल्ली। दिल्ली में सर्दियों के शुरू होते ही वायु प्रदूषण फिर से चिंता का कारण बन गया है। राजधानी की हवा की गुणवत्ता (एक्यूआई) लगातार गंभीर और अति-गंभीर स्तर पर बनी हुई है, जिससे बाहर सांस लेना मुश्किल हो गया है। खासकर बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और सांस की बीमारी से ग्रसित लोग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं, जिनमें वाहनों पर सख्त निगरानी भी शामिल है। पहले दिन ही 10 वाहनों पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया और उन्हें वापस भेजा गया। हालांकि कुछ मामलों में पुलिस ने जुर्माना माफ कर दिया, खासकर उन लोगों के लिए जो इतनी राशि नहीं चुका सकते थे। कालिंदी कुंज पर भी उन वाहनों की निगरानी की जा रही थी जिनके पास वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र नहीं था। दोपहर तक कम से कम 15 वाहनों का चालान किया गया। अभी दिल्ली में एक्यूआई गंभीर कैटेगरी में है, जिसका मतलब है कि अगर जरूरी न हो तो घरों के अंदर रहना ही सुरक्षित है। प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार ने वाहनों पर कड़े नियम लागू किए हैं। अब दिल्ली के बाहर रजिस्टर किए गए सभी वाहनों के बीएस-6 मानकों पर खरे उतरना अनिवार्य है। जो वाहन बीएस-6 नहीं हैं और दिल्ली में प्रवेश करते हैं, उनके ऊपर भारी जुर्माना लगाया जा रहा है। इसके लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा बॉर्डर पर विशेष चेकपोस्ट बनाए गए हैं। चिल्ला बॉर्डर पर दिल्ली और यूपी पुलिस की टीमें तैनात हैं। यूपी की तरफ बैरिकेडिंग की गई है, जबकि दिल्ली की ओर पुलिसकर्मी मोबाइल ऐप के जरिए वाहनों की जांच कर रहे हैं। उनका मुख्य काम पुराने बीएस-6 या उससे पुराने वाहन दिल्ली में प्रवेश न करें, यह सुनिश्चित करना है। पुलिसकर्मी मास्क पहनकर अपनी ड्यूटी कर रहे हैं, क्योंकि वायु प्रदूषण अधिक है। डीएनडी फ्लाईवे पर भी ट्रैफिक पुलिस की नजर बनी हुई है। सुबह के समय थोड़ी ढील दी गई ताकि जाम न लगे, लेकिन जैसे-जैसे दिन बढ़ा, वाहनों की संख्या कम होने लगी और सख्ती बढ़ा दी गई। ग्रैड-4 के तहत कई तरह की पाबंदियां लागू की गई हैं। इसके साथ ही सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सलाह दी गई है ताकि सड़कों पर वाहनों की संख्या कम हो और प्रदूषण पर काबू पाया जा सके।
