बिलासपुर, 23 जनवरी । बिलासपुर जिले के कई गांवों से गुजरने वाली ट्रांसमिशन लाइन के नीचे और आसपास करंट से लोगों के प्रभावित होने की खबर को संज्ञान लेकर चल रही जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल रमाकांत मिश्रा ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा। वहीं इस पूरे मामले में सीईए (सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी) की विस्तृत रिपोर्ट पेश नहीं हो पाई है। जिसके लिए बैंच ने अगली सुनवाई का समय निर्धारित किया है।
दरअसल हाइकोर्ट की पूर्व सुनवाई में अधिवक्ता अतनु घोष ने जानकारी दी थी कि विद्युत प्राधिकरण, विद्युत मंत्रालय की एक समिति गठित की गई है, जिसमें कृषि क्षेत्र में अपनी ट्रांसमिशन लाइन स्थापित करने वाली कंपनियों को ट्रांसमिशन लीकेज का समाधान निकालने के लिए बुलाया गया है। वहीं सुनवाई के दौरान अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट पूर्ण होने पर अगली सुनवाई तक पेश करने की जानकारी दी थी। वहीं गुरुवार को सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अतनु घोष ने केंद्र सरकार के पूर्व के हलफनामे में जबलपुर ट्रांसमिशन कंपनी को लेकर पेश किए तथ्य को कोर्ट के सामने रखा और समय की मांग की। वहीं अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने सीईए की विस्तृत रिपोर्ट को अगली सुनवाई में पेश करने की जानकारी दी।
दरअसल बिलासपुर के कई गांव में हाईटेंशन विद्युत लाइन की ऊंचाई कम होने से नीचे और आसपास करंट होने के चलते ग्रामीणों की परेशानी को लेकर प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के तौर पर इसकी सुनवाई शुरू की है। जिसमें प्रकाशित किया की बिलासपुर जिले के रतनपुर क्षेत्र के लगभग आठ गांवों के खेतों में हाईटेंशन तार के नीचे और टॉवरों के आसपास करंट के झटके महसूस किए जा रहे हैं। बचने के लिए लोग रबड़ के बूट, जूते पहन रहे हैं, इसके बावजूद हर रोज ग्रामीणों को करंट लग रहा है। मवेशियों और बच्चों को इससे ज्यादा खतरा है। इस समस्या से कछार, लोफंदी, भरारी, अमतरा, मोहतराई, लछनपुर, नवगंवा, मदनपुर अधिक प्रभावित हैं। इस पूरे मामले में हाई कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को सीईए समिति की विस्तृत रिपोर्ट मांगी पेश करने आदेश दिया। वहीं अगली सुनवाई चार मार्च को तय की गई।