एक साल के दौरान विकास कार्यों में हुई है कई गुना बढ़ोतरी
इंदौर, 13 जनवरी । देश में स्वच्छता का लगातार परमच लहराने वाला इंदौर विकास कार्यों के साथ ही सुंदरता में भी पीछे नहीं है। यहां जो विकास कार्य किए जा रहे हैं, उससे आने वाले कई सालों तक शहरवासियों को फायदा मिलेगा। जब शहर के सभी ओव्हर ब्रिज बनकर तैयार हो जाएंगे तब तो वाहन सरपट दौडेंगे, इससे कई मार्गों पर वाहन चालकों को जाम से भी मुक्ति मिलेगी। इंदौर का नगर निगम हो, विकास प्राधिकरण हो या फिर जिला प्रशासन, सभी के अधिकारी-कर्मचारी एकजुट होकर शहर के विकास कार्य में जुटे हुए हैं। कई विकास कार्य तो ऐसे कराए जा रहे हैं, जहां दिन रात कार्य चल रहा है। विकास शहर के एक-दो नहीं, अधिकांश मार्गों पर लोगों को नजर आता है। कहीं फ्लाईओवर का निर्माण हो रहा है तो कहीं सड़क के आसपास की दीवारों पर आर्कषक चित्रकारी की गई है। इनमें इंदौर की धरोहर को भी दर्शाया गया है, जो शहर में आने वाले मेहमानों को खूब भाती है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आने के बाद शहर के विकास कार्यो में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। अब आमजन को सरकारी योजनाओं का लाभ लेना भी काफी आसान काम हो गया है, कई पात्र लोग सरकारी सहायता मिलने से खुश है।
नवाचार में भी काफी आगे है इंदौर-
जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. आरआर पटेल ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया कि स्वच्छ शहर इंदौर हमेशा से कुछ न कुछ नवाचार करने वाले शहरों में शुमार है। इंदौर के एक नवाचारकों पूरे देश में लोगों ने सराहा था। यहां अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर विश्राम बाग में 21 टन लोहे के कबाड़ से राम मंदिर की प्रतिकृति तैयार की गई थी। इसे बनाने में पांच मुस्लिम कारीगरों का विशेष योगदान रहा था। इस प्रतिकृति की ऊंचाई 27 फीट, चौड़ाई 26 फीट और लंबाई 40 फीट है, वहीं 20 मजदूरों ने तीन महीने दिन रात काम किया था और इसे तैयार किया था। कारीगरों ने इसमें इलेक्ट्रिसिटी के पोल, बगीचों में से निकलने वाले झूलों का स्क्रैप, गाड़ियों के नट बोल्ट आदि का उपयोग किया है। ऐसा ही एक नवाचार शहर के गीता भवन चौराहे पर भी किया गया है। राज्य की सांस्कृतिक पहचान से जुड़े सांची स्तूप के दक्षिणी द्वार की यह प्रतिकृति 15 फुट ऊंची, 10 फुट चौड़ी और 1.60 फुट मोटी है। प्रतिकृति को बनाने में लोहे की चादर, लोहे के पाइप, पुरानी मोटरसाइकिल की चेन व अन्य कलपुर्जे, नट-बोल्ट, पुरानी व्हीलचेयर और लोहे के अन्य सामान के करीब एक टन कबाड़ का इस्तेमाल किया गया है।
कुमेड़ी का बस स्टैंड, इंदौर के लिए बड़ी सौगात-
उन्होंने बताया कि शहर के ट्रैफिक को ठीक करने के लिए यात्री बसों को शहर के बाहरी हिस्से से चलाने की कवायद चल रही है। जल्द ही शहर को कुमेड़ी स्थित आईएसबीटी (बस स्टैंड) की बड़ी सौगात मिलने वाली है। कुछ समय बाद यहां से सैकड़ों यात्री बस आना जाना करेगी। यह बस स्टैंड कुमेड़ी क्षेत्र में 15 एकड़ क्षेत्रफल में इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा बनवाया गया है। यह टर्मिनल सिंहस्थ के लिए भी बड़ी सौगात होगा। इसके माध्यम से यात्रियों को बेहतर आवागमन सुविधाएं मिलेंगी। आईएसबीटी पर लगभग 1440 बसें 24 घंटे में आएगी और जाएगी। बस टर्मिनल पूर्णत: वातानुकूलित व सर्वसुविधायुक्त बना है।
सौंदर्यीकरण का बेहतर उदाहरण नर्मदा चौराहा-
इंदौर की सुन्दरता में निखार के लिए चौराहों के सौंदर्यीकरण का कार्य भी हाथ में लिया गया है। दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा लोकार्पित नर्मदा चौराहा इसका बेहतर उदाहरण है। इस चौराहे के सौंदर्यीकरण के तहत मां नर्मदा की प्रतिकृति, शंख फाउंटेन और महेश्वर का किला आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। इस चौराहे पर मां नर्मदा की आठ फीट ऊंची प्रतिकृति स्थापित की गई है। इसकी चौड़ाई आठ फीट है। इस प्रतिकृति के नीचे मगर की प्रतिकृति भी है। मां नर्मदा की यह प्रतिकृति अष्ट धातु से बनी है, जिसे ग्वालियर के आर्टिस्ट अनुज राय ने तैयार किया है। चौराहे का निर्माण दो फेज में किया जा रहा है और इसे अलग-अलग थीम पर तैयार किया जा रहा है। एक आइलैंड पर महेश्वर का किला और दूसरे आइलैंड पर भेड़ाघाट की प्रतिकृति, शंख फाउंटेन और अन्य आकर्षक आकृतियां दिखाई दे रही है। इन आकृतियों और स्ट्रक्चर को एमएस धातु से तैयार किया गया है। एक खास बात यह है कि यह पूरा स्ट्रक्चर मूवेबल है, यानी यदि भविष्य में चौराहे को स्थानांतरित करने की आवश्यकता पड़ी, तो इसे आसानी से शिफ्ट किया जा सकता है। नर्मदा परिक्रमा की जानकारी को भी चौराहे पर आकर्षक रूप से प्रदर्शित किया गया है।
ग्रामीण अंचल में जाकर नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधा दे रहे हैं इंदौर के डॉक्टर-
इंदौर संभागायुक्त दीपक सिंह के प्रयासों से, संभाग के विभिन्न जिलों में, नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया गया। इन शिविरों में, लगभग 63693 लाभार्थियों का नि:शुल्क इलाज किया गया। स्क्रीनिंग के दौरान, जिन मरीजों में गंभीर बीमारियां पाई गईं, उन्हें चयनित कर, बड़े अस्पतालों में उपचार के लिए भेजा गया। ऐसे में जो लाभार्थी आर्थिक या अन्य परिस्थितियों के चलते इलाज कराने में असमर्थ थे, उन्होंने डॉक्टर्स और प्रशासन का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस पहल को बेहद सराहा। भविष्य में भी ऐसे निशुल्क स्वास्थ्य शिविरों के आयोजन की कामना की है।