इंदौर. भारतीय संस्कृति और परंपरा को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाली श्री हनुमंत ध्वज पथक संस्था ने एक और मील का पत्थर हासिल कर लिया है। संस्था को अपने अद्वितीय प्रदर्शन और समर्पण के लिए ‘शौर्य हनुमंत वल्र्ड रिकॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। शनिवार को आयोजित एक भव्य समारोह में संस्था के 60 सदस्यों को इस प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा गया। यह गौरव संस्था को केदारनाथ और अटारी बॉर्डर जैसे महत्वपूर्ण स्थलों पर ढोल-ताशे वादन के जरिए भारतीय संस्कृति का अद्वितीय प्रदर्शन करने के लिए दिया गया।
इस भव्य समारोह में श्री प्रमोद झा, श्री आकाश विजयवर्गीय, श्री मनोज ठाकुर, और श्री दीपेश व्याज मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। सभी अतिथियों ने संस्था की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि यह पथक भारतीय संस्कृति का एक सजीव उदाहरण है। उन्होंने संस्था के सदस्यों को अपने प्रयासों को जारी रखने और नए आयाम स्थापित करने के लिए प्रेरित किया।
श्री हनुमंत ध्वज पथक संस्था ने अब तक कुल 6 वल्र्ड रिकॉर्ड बनाए हैं। ये उपलब्धियां उन स्थलों पर की गई हैं जो भारतीय संस्कृति और परंपरा के प्रतीक हैं। इनमें गणतंत्र दिवस के अवसर पर अटारी बॉर्डर, मंदिर के पट खुलने के मौके पर केदारनाथ, बद्रीनाथ, सबसे ऊंचाई पर उत्तराखंड में स्थित तूंगनाथ धाम और रणजीत हनुमान प्रभातफेरी शामिल है।
संस्था के संस्थापक शशांक सुरोशे और स्नेहा विजयवर्गीय ने बताया कि पथक के सदस्यों की आयु 12 वर्ष से 36 वर्ष के बीच है। यह युवा ऊर्जा और जोश संस्था की सबसे बड़ी ताकत है। ये युवा भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पूरी निष्ठा से काम कर रहे हैं। पथक की सदस्य लवीना हरगावकर ने बताया कि संस्था के सदस्यों का लक्ष्य भारतीय परंपरा और कला को न केवल देश के कोने-कोने तक पहुंचाना है, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी सम्मान दिलाना है।
श्री हनुमंत ध्वज पथक संस्था ने भारतीय कला, परंपरा, और सांस्कृतिक मूल्यों को न केवल जीवित रखा है, बल्कि इन्हें नई पीढ़ी तक पहुंचाने का भी सराहनीय कार्य किया है। उनके ढोल-ताशे वादन में न केवल संगीत की ध्वनि है, बल्कि शौर्य, भक्ति और भारतीयता का अनोखा संगम भी है। श्री हनुमंत ध्वज पथक संस्था ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि जब उद्देश्य स्पष्ट और समर्पण अडिग हो, तो विश्व स्तर पर किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।