*विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक घोटाले में लिप्त हैं 6 दिन पूर्व महाकाल मंदिर में पैसे लेकर नंदीहाल से दर्शन करवाने के बाद कड़ी पकड़ में आई जिसमें महाकाल मंदिर से दो कर्मचारी पुलिस की गिरफ़्त में आए (राकेश श्रीवास्तव विनोद चौकसे)) जिनके खाते से लाखों का ट्रांजैक्शन पाया गया आगे जानकारी है कि इसमें और लोगों की हिस्सेदारी बताई गई है
पकड़ाये गए कर्मचारियों ने पुलिस के सामने कुछ भी बताने से मना कर दिया कहां गया कि हम सिर्फ कलेक्टर के सामने अपना बयान दर्ज करवाएंगे
श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं को दर्शन कराने के मामले में पकड़े गए कर्मचारियों से पूछताछ में नए खुलासे हो रहे हैं। इनके खातों में अब तक लाखों रुपए का लेन-देन सामने आया है। इनका कहना है कि वह अकेले यह काम नहीं कर रहे थे बल्कि एक पूरा रैकेट लगा हुआ है।
महाकालेश्वर मंदिर में दर्शनों को पहुंचने वाले हर श्रद्धालु की इच्छा होती है कि वह भगवान के सबसे नजदीक जाकर दर्शन कर पाए, लेकिन मंदिर में सामान्य व्यक्तियों के लिए बेरिकेड्स से दर्शनों का नियम है। ऐसे में यह श्रद्धालु नजदीक तक जाने के लिए कर्मचारियों की मदद लेते हैं। इसके लिए बाकायदा रैकेट काम करता है जो श्रद्धालुओं को प्रवेश के साथ ही दर्शन सुविधा उलब्ध कराता है।
साथ ही रैकेट से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी भी होगी। इसके बाद दोनों को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
कर्मचारी सभा मंडप प्रभारी राकेश श्रीवास्तव और सफाई प्रभारी विनोद चौकसे के खिलाफ श्रद्धालुओं से रुपए लेकर दर्शन कराने के मामले में महाकाल थाने में केस दर्ज कराया। पुलिस ने दोनों को हिरासत में लिया। उनके मोबाइल जब्त किए। दोनों के मोबाइल ने लाखों के ट्रांजेक्शन और चेटिंग के कई राज खोले। मंदिर से जुड़े अफसरों ने बताया कि समिति के कर्मचारियों को कलेक्टर रेट दर अनुसार वेतन भुगतान किया जाता है जो अधिकतम 16 हजार रुपए प्रतिमाह है, लेकिन उक्त दोनों कर्मचारियों के खातों में प्रतिमाह लाखों रुपए का ट्रांजेक्शन हो रहा था। विनोद चौकसे के मोबाइल चेटिंग में कर्नाटक, बिहार, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, मुंबई, गुजरात के लोगों से बातचीत की जानकारी सामने आई है।
पुलिस द्वारा विनोद और राकेश से जब्त हुए मोबाइल से पुलिस को यह जानकारी भी मिली है कि यह दोनों तो सिर्फ रैकेट की एक कड़ी हैं। पूरे मामले में सिक्युरिटी एजेंसी से जुड़े कर्मचारी और अफसर, कम्प्यूटर ऑपरेटर शामिल हैं। हालांकि पूछताछ में दोनों कर्मचारी पुलिस अफसरों के सामने नाम उजागर नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनके मोबाइल से पूरे रैकेट का पटाक्षेप हो चुका है,