अपनी भक्ति, श्रद्धा, समर्पण, पुरुषार्थ से तप आराधना में जुड़े आराधक
अणुवत्स श्री संयतमुनिजी ने तप अनुमोदना प्रसंग पर कहा
64 सिद्धि तपाराधकों का श्रीसंघ ने किया बहुमान -मूसलाधार बारिश भी श्रावक -श्राविकाओं का उत्साह कम नही कर पाई
थांदला से विवेक व्यास की रिपोर्ट माधव एक्सप्रेस
थांदला। आचार्य श्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य धर्मदास गणनायक प्रवर्तक श्री जिनेंद्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती अणुवत्स संयतमुनिजी आदि ठाणा- 4 व साध्वी निखिलशीलाजी आदि ठाणा 4 के सानिध्य में यहां आत्मोत्कर्ष अणुवत्स वर्षावास में 64 आराधकों ने 45 दिवसीय सामूहिक ‘सिद्धितप’ की कठोर तप आराधना की। श्रीसंघ के सहसचिव अशोक तलेरा व हितेष शाहजी ने बताया कि नगर के इतिहास में पहली मर्तबा इतनी बडी संख्या में सिद्धि तप की तपस्या हुई है, जो नगर एवं क्षेत्र के लिए भी गौरव की बात है।समस्त सिद्धि तप तपाराधकों के अनुमोदनार्थ श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ द्वारा दो दिवसीय ‘सिद्धितप महोत्सव’ आयोजित किया गया। महोत्सव को लेकर समाजजनों में जबरदस्त उत्साह छलकता नजर आया।मूसलाधार बारिश भी तपस्वीयों और श्रावक -श्राविकाओं का उत्साह को कम नही कर पाई।तपस्वियों की अनुमोदना करने के लिए कई श्रीसंघों के श्रावक-श्राविकाएं एवं तपस्वियों के स्वजन तथा स्नेहीजनों ने उपस्थित होकर तपस्वियों की अनुमोदना की।
तप अनुमोदना का अवसर दुर्लभ मिलता है
स्थानीय पौषध भवन पर तप अनुमोदना महोत्सव में अणुवत्स संयतमुनिजी ने श्रावक श्राविकाओं को व तपस्वियों को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य उमेशमुनिजी की जन्मभूमि में इतनी बड़ी संख्या में तपस्वी तप से जुडे हुए है। सबसे बड़ी बात गुरुकृपा आचार्य उमेशमुनिजी एवं प्रवर्तक जिनेंद्रमुनिजी की कृपा बरस रही है। गुरुकृपा से ही सब कुछ संभव हो पाता है। यह सब जिन शासन की महिमा है। संसार के कार्य में अनुमोदना के कई अवसर आते है, पर तप करने का अनुमोदन कभी कभी आता है। तप का अनुमोदन दुर्लभ है, वहीं इतने सारे तप का अनुमोदन तो बहुत ही दुर्लभ है। वर्षावास में तपस्या का ऐसा जुनून जागा कि इसमें ‘सबका साथ मिला, सबका विश्वास जमा’ सबका प्रयास हुआ, सबका विकास हुआ। मुनिश्री ने आगे कहा कि आराधकों की भक्ति, समर्पण, श्रृद्धा व संघ का पुुरुषार्थ, संस्कारवान छोटे छोटे बच्चे, युवक- युवतियां और वरिष्ठ श्रावक-श्राविका भी सिद्धि तप से जुड़े। इन तपस्वियों ने मिलकर जिनशासन, श्रीधर्मदास गण और थांदला श्रीसंघ की शोभा बढ़ाई है। पूज्यश्री ने समस्त तपस्वियों को, संघ को व परिवारजनों को खूब खूब धन्यवाद, साधुवाद दिया व सभी तपस्वियों के निर्मल तप की अनुमोदना की। अणुवत्स संयतमुनिजी ने तपस्या के अनुमोदनार्थ “तप से सजी है मेरी अणु की नगरीयां” स्तवन भी प्रस्तुत किया।
शक्ति हो तभी तपस्या कर सकते हैं
धर्मसभा में आदित्यमुनिजी ने कहा कि तपस्या वही कर सकता है जिसके अंदर शक्ति हो, जिसका वीर्यान्तराय कर्म का क्षयोपक्षम विशेष होता है, वही तपस्या कर सकता है। तप का अनमोदन अच्छे से करना है। इस तप में छोटे से बडों ने अपने आपको दृढ़ता से जोड़ा। मुनिश्री ने कहा कि इतना बड़ा तप होने के बाद भी सभी तपस्वी अपने आत्म लक्ष्य में मजबूत रहे । धर्मसभा में श्रीसंघ के अध्यक्ष भरत भंसाली, पूज्य श्री नंदाचार्य साहित्य समिति केअध्यक्ष देवेंद्र गादिया, इंदौर अणु स्वाध्याय भवन श्रीसंघ अध्यक्ष कनकमल बाठिया, रतलाम श्रीसंघ के पूर्व अध्यक्ष शैलैष पीपाड़ा, नागदा (धार) श्रीसंघ के पूर्व अध्यक्ष सुनील चौधरी, मेघनगर श्रीसंघ के यशवंत बाफना, विनोद बाफना, कुशलगढ़ श्रीसंघ के महामंत्री प्रशांत नाहटा, प्रिया तलेरा आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। संचालन श्रीसंघ के सचिव प्रदीप गादिया ने किया।
तपस्वियों की निकली ऐतिहासिक जयकार यात्रा
नवयुवक मंडल के अध्यक्ष रवि लोढा वप्रवक्ता समकित तलेरा ने बताया कि स्थानीय मंडी प्रांगण से समस्त सिद्धि तप आराधकों की जयकार यात्रा निकाली गई। यात्रा में श्रावक-श्राविकाएं व बच्चें तथा तपस्वी के परिजन जयकार करते हुए चल रहे थे। मार्ग में कई स्थानों पर तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। यात्रा नगर के प्रमुख मार्गो से होती हुई पौषध भवन पहुंची। अणुवत्स संयतमुनिजी ने तपस्वियों को मांगलिक श्रवण करवा कर स्तवन भी प्रस्तुत किया। इसके पूर्व मंडी प्रांगण मेें श्रीसंघ द्वारा समस्त तपाराधकों का अभिनंदन पत्र भेंटकर बहुमान किया गया व कई परिवारों द्वारा भी तपस्वीयों का बहुमान किया।वहीं एक दिन पूर्व मंडी प्रांगण पर ही तपस्या के अनुमोदनार्थ महा चौवीसी का आयोजन किया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लेकर तपाराधकों की अनुमोदना की।
14 से 75 वर्ष तक के श्रावक -श्राविकाओं ने की सिद्धि तप की उग्र तपस्या
सिद्धि तप की इस तपस्या में 14 वर्ष से लेकर युवावर्ग सहित वरिष्ठ श्रावक -श्राविकाओं ने सिद्धि तप की उग्र तपस्या की।इसमे दम्पति में साथ -साथ सांस-बहु, देरानी-जेठानी, ननद-भोजाई, जेठ-बहु आदि ने तपाराधना की।
फोटो : थांदला में सिद्धि तप के तपस्वियों की निकली विहंगम जयकार यात्रा में शामिल श्रावक श्राविकाएं।