
1965 का अखबार दैनिक इन्दौर समाचार में इन्दौर शहर के चल चित्रों व इन्दौर के सिनेमा घरों की जानकारी कौन से टाकीज में कौन सी फिल्म लगी है इसकी पूरी जानकारी फिल्म प्रेमी दशकों को लग जाती थी।अब सिर्फ़ पुरानी यादें ही रह गई है, क्योंकि सभी सिनेमाघरों के स्थानों पर अब सभी जगह टूटकर कर मार्केट व काम्प्लेक्स बन चुके है । कहीं कहीं टाकीज के नाम से जरुर जाना जाता है जैसे रीगल चौराहा या मधुमिलन पर वह दिनों की यादें जब हमारे शहर इन्दौर में टाकीजो की संख्या 25-30 हुआ करती थी। और इन्दौर फिल्म इंडस्ट्रीज के लिए सिरमौर था । वह दिन जब बड़े बड़े कलाकार यह आया करते थे और यह के दशकों की ओपनिंग से फिल्म के हिट या फ्लॉप का अनुमान लगाते थे। वहीं एक दशक से इन्दौर के अखबार भी अपनी जिम्मेदारी व पाठकों के विश्वास पर खरा उतारते थे। यही श्याम-श्वेत रंग को लिए हमारा अपना अखबार 1965 का अंक सोशल मीडिया पर मिला जिसे देखकर दिल खुश हो गया। इसी लिए मेरी क़लम कुछ शब्दों को मिलाकर पुरानी यादें आज भी ताजा करने के लिए प्रस्तुत कर रहा हूं। दैनिक इन्दौर समाचार अखबार का वह अंक की प्रतिलिपि। जो आज भी यादों में ताजा है।आज भी इन्दौर समाचार अखबार अविरल निकल रहा है यह प्रिन्ट मीडिया के लिए गर्व की बात है।
प्रेषक संकलनकर्ता – हरिहर सिंह चौहान जबरी बाग़ नसिया इन्दौर