अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से पूर्व एफएसआईआई और फिजीहा ने किया विशेष कार्यशाला का आयोजन
इंदौर। , 6 मार्च, 2024: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से पूर्व बुधवार को फे डरेशन ऑफ सीड इं डस्ट्री ऑफ इंडिया
(एफएसआईआई) और फोरम फॉर इंडियन जर्नलिस्ट्स ऑन एजुके शन, एनवायर्नमेंट, हेल्थ एं ड एग्रीकल्चर (फिजीहा) द्वारा
आयोजित विशेष कार्यशाला ‘ट्रांसफॉर्मिं ग एग्रीकल्चर: विमेन, टेक्नोलॉजी एं ड सस्टेनेबल ग्रोथ’ में वक्ताओं ने महिलाओं
किसानों द्वारा खेतीबाड़ी में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर दिया।
विशेषज्ञों ने कहा कि इनपुट, बाजार, प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और ऋण तक सीमित पहुंच के साथ-साथ भूमि पर मालिकाना हक
और कम आय जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, भारतीय कृषि में महिलाओं का उल्लेखनीय योगदान है। महिला
सशक्तीकरण को बढ़ावा देने वाली नीतियों की वकालत, प्रौद्योगिकी जैसे आवश्यक संसाधनों तक पहुंच में सुधार और
महिलाओं के अमूल्य योगदान को स्वीकार करके ही एक अधिक समावेशी एवं स्थायी कृषि की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया
जा सकता है।
कृषि में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, एफएसआईआई की निदेशक और कोर्टेवा एग्रीसाइं स की सरकारी एवं
उद्योग मामलों की निदेशक (एशिया प्रशांत) अनुजा कादियान ने कहा, “कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भागीदारी के बावजूद, ग्रामीण
क्षेत्र में महिलाओं को किसान के रूप में पहचाने जाने की बजाय मुख्य रूप से मजदू र के रूप में देखा जाता है। कृषि क्षेत्र में
कार्यरत पुरुषों की तुलना में महिलाओं की आमदनी में भी बड़ा अंतर है। दुर्भाग्य से जलवायु परिवर्तन की वजह से यह अंतर और
बढ़ रहा है।”
कादियान ने आगे कहा, “ऐसी नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करना जरूरी है, जो महिलाओं को किसान के रूप में स्थापित
करते हैं। साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि भूमि पर उनका भी मालिकाना हक हो, ऋण सुविधाओं और कृषि संसाधनों
तक उनकी समान पहुंच हो। महिलाओं की जरूरतों के अनुरूप खेती और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने से उत्पादन में वृद्धि
होगी और साथ ही जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में भी सुविधा होगी।”
कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए), इं दौर की परियोजना निदेशक शार्ली थॉमस ने बताया कि कै से एटीएमए
लगातार महिला किसानों को कृषि कार्य में नई प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए सक्षम बनाने की दिशा में काम कर रही है, ताकि
उनके लिए खेती आसान और लाभकारी बने।
आईसीएआर- भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में प्लांट ब्रीडिं ग की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अनीता रानी ने कृषि में
महिलाओं की भागीदारी के महत्व पर प्रकाश डाला। महाराजा रणजीत सिं ह कॉलेज ऑफ प्रोफे शनल साइं सेज में जीवन
विज्ञान विभाग की प्रोफे सर और प्रमुख डॉ. मोनिका जैन ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि कृषि क्षेत्र में महिलाओं
को सशक्त बनाना कितना जरूरी है।
कार्यशाला के दौरान उन महिला किसानों को सम्मानित भी किया गया, जो खेतीबाड़ी में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रही हैं
और अपने आस-पड़ोस की महिलाओं को भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं, ताकि उनकी आमदनी दोगुनी हो जाये।
एफएसआईआई के निदेशक, ईस्ट-वेस्ट सीड इंडिया में कॉरपोरेट संचार एवं मीडिया संबंध प्रमुख, और ईस्ट-वेस्ट सीड
नॉलेज ट्रांसफर फाउंडेशन, भारत की निदेशक आनंदा यूवीएल ने बताया कि कै से मध्य प्रदेश में महिला किसान तेजी से
सटीक कृषि पद्धतियों को अपना रही हैं, पानी, उर्वरक और कीटनाशक जैसे संसाधनों के कु शलतापूर्वक प्रबंधन के लिए
जीपीएस तकनीक और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग कर रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप अधिक उपज हो रही है।
आनंदा यूवीएल ने आगे कहा, “समय पर प्रशिक्षण और शिक्षा तक पहुंच के साथ, ग्रामीण महिलाएं कृषि में अपनी भूमिका बढ़ा
सकती हैं, व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा दे सकती हैं और राज्य के विकास में योगदान दे सकती हैं।”
चुनौतियों से पार पाने के लिए नई प्रौद्योगिकियों और तकनीकों को अपनाने वाली महिला किसानों की प्रेरणादायक कहानियाँ
हमारे आसपास मौजूद हैं। सटीक कृषि प्रणालियों, जैसे कि जीपीएस तकनीक और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग, महिलाओं
को संसाधन उपयोग के लिए अनुकूलित करने, फसल की पैदावार बढ़ाने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए सशक्त
बना रही हैं।
एफएसआईआई के एग्रीबायोटेक की निदेशिका डॉ. रत्ना कु मरिया ने कहा, “समावेशी कृषि के लिए एफएसआईआई की
प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में, हम अपनी सदस्य कं पनियों के साथ नीतियों, प्रौद्योगिकी और सहयोग के माध्यम से महिला
किसानों और श्रमिकों को सशक्त बनाते हैं, जिससे भारतीय कृषि में उनकी भागीदारी बढ़ती है।”
भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने आगे कहा, “भारत के निर्णायक प्रयास के कारण कृषि में नई प्रौद्योगिकी
तेजी से एकीकृ त हो रही है, जैसा कि ड्रोन के हालिया उपयोग में देखा गया है। ग्रामीण महिलाएं कृषि में ड्रोन का कु शलता से
इस्तेमाल करके अपनी आय बढ़ाने की दिशा में अग्रसर है।”
कार्यशाला में प्रगतिशील किसानों ने अपने अनुभव भी साझा किये।
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एफएसआईआई के बारे में
फे डरेशन ऑफ सीड इं डस्ट्री ऑफ इंडिया (एफएसआईआई) भारत में भोजन, चारा और फाइबर के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज के उत्पादन के लिए समर्पि त अनुसंधान एवं
विकास-आधारित संयंत्र विज्ञान कं पनियों का एक संघ है। स्क्रीनिं ग और आमंत्रण प्रक्रियाओं के माध्यम से सावधानीपूर्वक तैयार की गई सदस्यता के साथ, एफएसआईआई
एक मजबूत गठबंधन के रूप में खड़ा है, जिसमें वैश्विक और घरेलू बीज उद्योग के लीडर दोनों शामिल हैं। भारत की 56% बाजार हिस्सेदारी और देश के लगभग 70% बीज
अनुसंधान और विकास निवेश का प्रतिनिधित्व करते हुए, एफएसआईआई सदस्य नवाचार को बढ़ावा देने में सबसे आगे हैं।
एफएसआईआई और इसके सदस्य एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं, जिसमें किसानों और नियामक अधिकारियों से लेकर नीति निर्माताओं और गैर सरकारी संगठनों
तक विभिन्न हितधारकों को शामिल किया जाता है। इस सहयोगी लोकाचार का उद्देश्य भारत के अनुसंधान-आधारित बीज उद्योग के विकास के लिए एक सक्षम वातावरण को
बढ़ावा देना है।