(माधव एक्सप्रेस)मध्यप्रदेश की सियासत में सीधी जिले में अप्राकृतिक कृत्य से आदिवासी समुदाय में रोष व्याप्त विगत कई वर्षों से उत्तरप्रदेश हो या मध्यप्रदेश हर प्रदेश में आदिवासी समुदाय को हीन भावना से देखना सामान्य बात हो गई है जातिवाद को लेकर भेदभाव की सामाजिक नीति किसने बनाई धर्म ने या राजनिति ने एक और भारत को संप्रभुत्ता का केंद्र माना जाता है दूसरी ओर उसी देश में आदिवासियों को नीचा दिखाने के लिए उच्च धर्म वाद के समाजिक लोगों द्वारा निम्न जाति के व्यक्ति पर पेशाब कर दी जाती है ये भी भूल गए की भगवान परशुराम ने भी धर्म को समझाते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा था की इंसान धर्म से ब्राह्मण नहीं कर्म से ब्राह्मण होना चाहिए क्या यही आदर्श है हिंदुत्व वादी धर्मों के की गरीब शोषित पीड़ित आदिवासी समाज को अपने बड़े होने के अभिमान के तले कुचल दिया जाए और कुशासन किया जाए आज भारत में राष्ट्रपति भले ही आदिवासी समुदाय से उच्च पद पर नियुक्त हो लेकिन उस पद की गरिमा आदिवासी शोषण के आगे उच्च नहीं रह जाती जिस तरह हर बार आदिवासी समाज और दलितों का शोषण होने के बाद रामायण की शबरी के गुणगान हिदुत्व में उभर आते हैं , ये हिंदू आदर्श नही रह जाते, आंबेडकर जयंती और टंट्या भील के साथ अन्य कई आदिवासी महापुरुषों के कर्मों की गाथाएं किताबों में व्यक्त है उन्होंने भी मातृभूमि की सेवा शोर्य मैं अपना बलिदान दिया महापुरुषों को उनकी पुण्यतिथि पर माला पहनाने से उनके मन को शांति नहीं मिलती जब उनके समुदाय को यातनाएं दी जाती हैं भारत का कानून भी धर्म वाद की जड़ों में बंध कर रह गया जब किसी आदिवासी समुदाय की युवती के साथ शोषण होता हैं तो सत्ता धारी उस मामले को वही दबा देते हैं और कानून धाराओं को देखता रह जाता हैं, वर्तमान मे भाजपा सांसद और कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह इस बात का सबूत हैं की कैसे केंद्र सरकार महिला विरोधी होकर महिला शोषण के विरूद्ध आवाज उठाने वाली महिलाओं को कानून की न्याय प्रणाली उन्हें न्याय नहीं दिला पाई, जब आदिवासी समाज ख़ुद को सहज महसूस करता है तो वह डॉक्टर भीम राव अंबेडकर साहब के आदर्शों पर चलने लगता हैं धर्म के अत्याचार में हिन्दू धर्म के प्रति अपनी हीन भावना व्यक्त कर वह मुस्लिम, ईसाई और बौद्ध धर्म को अपनाने के लिए आगे बढ़ता है
धर्म की माने तो भारत में दलित होकर जीना अभिश्राप हैं, मध्यप्रदेश में सीधी जिले के बीजेपी विधायक पंडित केदारनाथ शुक्ला के पूर्व विधायक प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला का एक वीडियो उसका प्रमाण हैं। नशे की हालत में एक मानसिक विक्षिप्त आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब करते हुए दिखाई दे रहे है। और प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वायरल वीडियो का संज्ञान में लेकर निर्देश दे रहे हैं कि अपराधी को किसी कीमत पर न छोड़ा जाए और कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। अपराधी पर एनएसए भी लगाएं । क्या होगा इससे किसी की मान और मर्यादा को तो आपके शासन में तहस नहस कर दिया बताया जा रहा है कि यह वीडियो करीब नौ दिन पहले का है। जहां सीधी जिले के कुबरी बाजार में मानसिक रूप से विक्षिप्त युवक बैठा हुआ था। यहां प्रवेश शुक्ला के द्वारा नशे की हालत में उसके ऊपर पेशाब कर दी गई। जानकारी के अनुसार, ग्राम कुबरी के रहने वाले प्रवेश शुक्ला पूर्व विधायक प्रतिनिधि थे। वर्तमान में वे सक्रिय बीजेपी कार्यकर्ता हैं। प्रवेश शुक्ला सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा बयान दिया गया की, सीधी जिले से एक आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब करने की क्रूरता का वीडियो सामने आया है। आदिवासी समाज के युवक के साथ ऐसी जघन्य और गिरी हुई हरकत का सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं है। आरोप है कि पेशाब करने वाला व्यक्ति भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। मध्यप्रदेश पहले ही आदिवासी अत्याचार में नंबर वन है। इस घटना ने पूरे मध्यप्रदेश को शर्मसार कर दिया है। उन्होंने कहा, मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि दोषी व्यक्ति को सख्त से सख्त सजा दी जाए और मध्यप्रदेश में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार को समाप्त किया जाए। लेकिन क्या इससे आदिवासियों पर शोषण खत्म हो जाएगा, विडियो सामने आने से शोषण के तथ्य सामने आए लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में रोज बीना वीडियो के ऐसे कितने ही शोषण के मामले दबगाई से दबा दिए जाते हैं आज भी शादियों में आदिवासियों को धार्मिक आधार पर तोला जाता हैं ग्रामीण क्षेत्रों में शमशान घाट तक में राजनीति गरमाई जाती हैं भारत अखंठ तब ही होगा जब सत्ता की कुर्सी पर जातिवाद और धर्मवाद की जड़े काट कर हटा दी गई हों।