खसरा एक अत्यधिक संक्रामक वायरल संक्रमण है, जो श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। यह खसरा वायरस (MeV) के कारण होता है। मीजल्स वायरस सतह पर कई घंटों तक जीवित रह सकता है, जो इसे अत्यधिक संक्रामक बनाता है। हालांकि समय पर इलाज किया जाए और कुछ सावधानी बरती जाए तो इस रोग पर आसानी से काबू पाया जा सकता है। इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल की शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. रुचिरा पहारे खसरा रोग के बारे में विस्तार से जानकारी दे रही हैं-
इस कारण होता है खसरा संक्रमण
डॉ. रुचिरा बताती हैं कि मीजल्स वायरस के कारण होने वाली एक संक्रामक बीमारी है। यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से हवा के माध्यम से फैलता है। जिन लोगों को खसरे का टीका नहीं होता है, उन्हें संक्रमण का खतरा भी ज्यादा होता है।
10 से 14 दिन में दिखाई देते हैं लक्षण
डॉ. रुचिरा पहारे के मुताबिक खसरे के लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 10 से 14 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। प्रारंभिक लक्षण एक सामान्य सर्दी के समान होते हैं, जिनमें संक्रमित व्यक्ति में नाक बहने, खांसी, गला खराब होना और बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन समय पर इलाज न लें तो संक्रमण बढ़ने पर मरीज के शरीर में लाल चकत्ते या दाने दिखाई देते हैं। आमतौर पर यह चकत्ते सिर से शुरु हो कर शरीर के अन्य हिस्सों में फैलते हैं कभी-कभी इनमें खुजली भी हो सकती है। शरीर पर ये दाने आमतौर पर लगभग 5 से 6 दिनों तक रहते हैं, जो कुछ ही दिन में खत्म हो जाते हैं। इसके अलावा संक्रमित मरीजों की आंखों के लाल होने व पानी आने, मांसपेशियों में दर्द और भूख लगने में कमी जैसे भी लक्षण दिखाई देते हैं।
खसरे का इलाज
खसरे के इलाज में मरीज को बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। संक्रमण के दौरान मरीज को ज्यादा से ज्यादा आराम करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा करना चाहिए। इस दौरान विटामिन ए से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा करना चाहिए।
खसरे रोग होने पर बरतें ये सावधानियां
खसरा बीमारी के कारण मरीजों मे कान का संक्रमण, ब्रोंकाइटिस, दिमाग का इन्फेक्श, दस्त व डिहाइड्रेशन जैसी समस्या भी हो सकती है। संक्रमित व्यक्ति को सबसे पहले आइसोलेट करना चाहिए और उसके उपयोग में आने वाली सभी चीजें जैसे तौलिए, चद्दर, बर्तन आदि को अलग रखें। यदि मरीज में खसरे के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें। ज्यादा परेशानी होने पर मरीज को अपना इलाज ऐसे अस्पताल में कराना चाहिए, जहां पर फुल टाइम स्पेशलिटी सिस्टम की सुविधा उपलब्ध हो।
खसरे से बचाव का उपाय
खसरे से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे अच्छा उपाय है। खसरे का टीका अत्यधिक प्रभावी और सुरक्षित है,। खसरे का टीका आमतौर पर दो खुराक में दिया जाता है, पहला 12-15 महीने की उम्र में और दूसरा 4-6 साल की उम्र में दिया जाता है। अपने पास के शिशु रोग विशेषज्ञ से बच्चों को यह टीका जरुर लगवाएं।