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( अमिताभ पाण्डेय )
इंदौर। आशा कार्यकर्ता भूमिका देशराज ने पिछले दिनों गायत्री महिला आरोग्य समिति के सदस्यों के साथ जाकर जूनी इंदौर में एक चॉकलेट निर्माता को समझाया कि उनके कारखाने के धुएं और बदबू से आसपास के लोगों को परेशानी हो रही है।
कारखाने के मालिक ने उनकी बात को गंभीरता से सुना और समझा ।
इसके बाद समाधान के उपाय भी किए जिससे इस क्षेत्र में रहने वालों की मुश्किल कम हुई । कारखाने से आसपास रहनेवालों को प्रदूषण से भी कुछ तो राहत मिली।
इस बारे में भूमिका का कहना है,
“ उन्होंने कारखाने में एलपीजी गैस सिलेंडर के उपयोग का आश्वासन दिया और धुआं कम करने के उपाय किए। अब इधर लोग चैन की सांस ले रहे हैं।”
भूमिका की तरह इंदौर में आशा कार्यकर्ताओं का एक बड़ा समूह अब अपने-अपने क्षेत्र की महिला आरोग्य समितियों के सहयोग से स्वच्छ इंदौर में स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ वायु की गुहार लगा रहा है।
उल्लेखनीय है कि इस बारे में यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) के सहयोग से चल रहे क्लीन एयर कैटलिस्ट और क्लीनर एयर ऐंड बेटर हेल्थ की ओर से वाइटल स्ट्रेटेजीज़ ने गत दिनों एक कार्यशाला का आयोजन किया था।
इसमें भाग लेने के बाद अब आशा कार्यकर्ता वायु प्रदूषण के कारणों और प्रभाव के साथ ही नुकसान पहुंचाने वाले प्रदूषकों के बचाव के उपायों को लेकर लोगों को जागरूक बना रही हैं।
वे लोगों को लकड़ी-कोयले जैसे धूआं फैलाने वाले ईंधन के उपयोग में कमी के अलावा एलपीजी गैस जैसे धुआं न उगलने वाले चूल्हों और पर्यावरण के लिए अनुकूल यातायात साधनों की आदत की सीख दे रही हैं।
उनके योगदान को अहमियत देते हुए इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव कहते हैं, “आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से इंदौर ही नहीं, पूरा मध्यप्रदेश नित नई योजनाओं को लागू करता है। ” विशेष बात यह है कि क्लीन एयर कैटलिस्ट प्रोग्राम में भी इन बहनों ने अब जन-जागरण का काम सीखा है।
” एन्वायर्नमेंटल डिफेंस फंड (ईडीएफ) के भारत में चीफ एडवाइज़र हिषम मंडल के मुताबिक, “हम आशा कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए कुछ ज्यादा कहते नहीं हैं, लेकिन इनका समाज के लिए योगदान बहुत बड़ा है। वे सुबह से शाम तक जो काम करती हैं, वह गज़ब है।”
आशा कार्यकर्ता ललिता यादव ने अपने पड़ोसियों को यह सिखा दिया है कि कचरा जलाना नहीं है।
उनके मुताबिक, “लोग अब कचरा डिब्बों में एकत्रित करते हैं, इसे जलाते नहीं है।
नगर निगम की गाड़ी भी कचरा लेने के लिए समय पर आ जाती है। ”
एक अन्य आशा कार्यकर्ता शीतल चंद रावत लोगों को धुआं करने वाली चीजें नहीं या कम से कम जलाने का सुझाव देती हैं।
उनका कहना है, “बस्तियों में कुछ लोग बेहद गरीब हैं और गैस सिलेंडर का खर्च नहीं उठा पाते इसलिए वे लकड़ी या कुछ और जला कर अपना काम चलाते हैं।”
उन्नती महिला आरोग्य समिति की आशा कार्यकर्ता नेहा वर्मा ने ठंड के मौसम में लोगों को लकड़ी और दूसरी चीजें जलाने की बजाए हीटर के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने कहा, “थोड़ी बिजली जलती है, लेकिन यह खर्च बीमारी के इलाज के खर्च की तुलना में काफी कम है।
धुएं के कारण पांच साल से छोटे बच्चों और गर्भवति महिलाओं को काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता है।”
रिसर्च के हवाले से वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट की प्रोग्राम मैनेजर अजरा खान बताती हैं, “ठोस ईंधन जैसे लकड़ी, कोयले या उपलों का इस्तेमाल करने वालों के घर में धुएं के निकलने के साधन न हों तो हवा बाहर की हवा की तुलना में पांच गुना ज्यादा खराब हो सकती है। चूंकि महिलाएं और बच्चे अपना ज्यादातर समय घर के अंदर बिताते हैं, इसलिए उन्हें खराब हवा का ज्यादा खतरा होता है।”
आशा कार्यकर्ता बरखा सोनवारे ने कोविड-19 के दौर में दिन-रात अथक काम करते हुए देखा कि लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर बहुत मुश्किल से मिल रहे थे। इसी वजह से अब वे लोगों को वायू प्रदूषण खत्म करने की सीख दे रही हैं।
बरखा ने बताया, “हमारी जिंदगी के लिए शुद्ध हवा की अहमियत बहुत ज्यादा है। हमें पता होना चाहिए कि वायु कितनी शुद्ध है।”
यहां यह बताना जरूरी होगा कि क्लीन एयर कैटलिस्ट, यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) के सहयोग से चल रहा कार्यक्रम है, जो वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट (डब्ल्यूआरआई) और एन्वायर्नमेंटल डिफेंस फंड (ईडीएफ) के नेतृत्व में विभिन्न संस्थाओं की वैश्विक साझेदारी है। वर्ष 2020 में शुरू किया गया यह प्रोग्राम वायु प्रदूषण को रोकने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और लोगों की सेहत में सुधार करने वाले स्थानीय स्तर के उपायों के लिए क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
क्लीन एयर कैटलिस्ट के अन्य भागीदारों में कोलंबिया क्लाइमेट स्कूल, क्लीन एयर टूलबॉक्स फॉर सिटीज़, क्लाइमेट ऐंड क्लीन एयर कोअलीशन, इंटरन्यूज़, एमएपी-एक्यू, ओपन एक्यू और वाइटल स्ट्रेटजीज़ शामिल हैं।
गौरतलब है कि क्लीनर एयर ऐंड बेटर हेल्थ (सीएबीएच) पहल का मकसद भारत के चयनित क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के स्तर घटाने के प्रयासों में बेहतरी और इसके जोखिम को कम करना है। यह कार्यक्रम यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) के आर्थिक सहयोग से चल रहा है।
कौंसिल फॉर एनर्जी, एन्वायर्नमेंट ऐंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के साथ मिल कर एनवायरो लीगल डिफेंस फंड (ईएलडीएफ), एन्वायर्नमेंटल डिज़ाइन सॉल्यूशंस (ईडीएस), एएसएआर और वाइटल स्ट्रेटजीज़ (वीएस) संयुक्त रूप से इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन कर रहे हैं।