एपल व फॉक्सकॉन के कारण कर्नाटक सरकार ने बदला लेबर लॉ
नई दिल्ली । इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी फॉक्सकॉन कर्नाटक में बड़ा निवेश करने जा रही है। ताइवान की यह कंपनी अमेरिका की टेक दिग्गज एपल के लिए आईफोन भी बनाती है। मीडिया की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि एपल और उसकी मैन्यूफैक्चरिंग पार्टनर फॉक्सकॉन की लॉबिंग के कारण कर्नाटक सरकार ने लेबर कानूनों में बदलाव किया है। नए कानून के मुताबिक कर्नाटक में भी अब चीन की तर्ज पर दो शिफ्ट में काम होगा। इन दोनों कंपनियों का मुख्य मैन्युफैक्चरिंग बेस चीन में ही है। इससे कर्नाटक में लेबर कानून देश में सबसे लचीला बन गया है। इससे दुनियाभर की कंपनियां वहां अपना मैन्यूफैक्चरिंग बेस बना सकती हैं।
ग्लोबल सप्लाई चेन की दिक्कतों और अमेरिका तथा चीन के बीच बढ़ रहे तनाव के कारण दुनियाभर की कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती हैं। भारत इस मौके का फायदा उठाकर ज्यादा से ज्यादा कंपनियों को अपनी ओर आकर्षित करना चाहता है। देश में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव लेकर आई है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि भारत अगला बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने जा रहा है। जब हम भारत की तुलना दूसरे देशों के साथ करते हैं तो हमें उत्पादन बढ़ाने के लिए अपनी एफिशिएंसी में लंबी छलांग लगानी होगी।
कर्नाटक की राजधानी बैंगलुरु भारत में टेक इंडस्ट्री का हब है। कर्नाटक की सरकार ने फैक्ट्रीज एक्ट में बदलाव किया है। इससे फैक्ट्रियों में 12 घंटे की शिफ्ट करने की अनुमति मिल गई है। पहले केवल नौ घंटे शिफ्ट की अनुमति थी। इससे महिलाओं के नाइट शिफ्ट में काम करने के नियमों को भी आसान बनाया गया है। चीन, ताइवान और वियतनाम में इलेट्रॉनिक्स प्रोडक्शन में महिलाओं का दबदबा है, लेकिन भारत में इस इंडस्ट्री में महिलाओं की संख्या कम है। नए कानून के मुताबिक एक हफ्ते में अधिकतम 48 घंटे काम की अनुमति है, लेकिन तीन महीने के पीरियड में ओवरटाइम 75 घंटे से बढ़ाकर 145 घंटे कर दिया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी ने कहा कि कर्नाटक ने घरेलू इंडस्ट्री लॉबी ग्रुप और विदेशी कंपनियों से मिले इनपुट के बाद लेबर लॉ में बदलाव किया है। इनमें फॉक्सकॉन और एपल भी शामिल हैं। हालांकि, दोनों कंपनियों ने इस पर टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। फॉक्सकॉन से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि फॉक्सकॉन और एपल इसकी पैरवी कर रहे थे। भारत में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए ऐसा करना जरूरी था। उन्होंने कहा कि भारत में काफी संभावनाएं हैं और फॉक्सकॉन इसे नजरअंदाज नहीं कर सकती है, लेकिन भारत और चीन के निवेश माहौल में काफी अंतर है। 24 घंटे में 12-12 घंटे की दो शिफ्ट में प्रोडक्शन से इस अंतर को पाटा जा सकता है।