उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध भगवान महाकाल के दरबार में होली और रंगपंचमी का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। सबसे पहले हर त्योहार मनाए जाने की परंपरा के चलते होली भी सबसे पहले बाबा के आंगन में प्रज्जवलित होती है। रंग भी सबसे पहले उन्हें लगाया जाता है।
तीन क्विंटल फूलों से बनाएगा जाएगा रंग
होली पर्व पर बाबा महाकाल को हर्बल गुलाल लगाया जाएगा। लेकिन रंगपंचमी पर खास तरह के टेसू के फूलों को लाकर पुजारी-पुरोहित उन्हें बड़े-बड़े तपेलों में उबालेंगे। करीब तीन क्विंटल फूल जंगलों से लाकर यह रंग तैयार किया जाएगा। इसे रंगपंचमी के दिन सुबह सबसे पहले बाबा महाकाल को लगाया जाएगा। फिर शहर में रंगपंचमी का उल्लास शुरू होगा।
पुजारी-पुरोहित खेलते हैं होली
महाकाल मंदिर में रंगपंचमी 12 मार्च 2023, रविवार के दिन बाबा महाकाल को टेसू के फूलों से तैयार किए जाने वाले रंग से होली खिलाई जाएगी।
पुजारी अभिषेक शर्मा (बाला गुरु) ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी करीब तीन क्विंटल टेसू के फूल लाकर मंदिर प्रांगण में रंग तैयार किया जाएगा। इसी से बाबा को सुबह रंग-गुलाल पिचकारी से श्रद्धालुओं पर डाला जाएगा। पुजारी-पुरोहित भी एक-दूसरे को रंग लगाएंगे।
महाकाल की गेर भी निकाली जाएगी
रंगपंचमी पर्व पर नगर में दिन भर रंगों का धमाल रहेगा। वहीं, शाम को बाबा महाकाल के दरबार से रंगारंग झांकियों की गेर निकलेगी। महाकाल मंदिर की गेर में आधा दर्जन से अधिक नयनाभिराम झांकियों का कारंवा निकलेगा। बैंड बाजों के साथ निकलने वाली गेर में ध्वज निशान शामिल रहेंगे। महाराष्ट्र के पुणे की ढोल पार्टी आकर्षण का केंद्र रहेगी।