उज्जैन – मनोज उपाध्याय (माधव एक्सप्रेस),पूरे भारत में वर्तमान में 13 अखाड़े मुख्य रूप से हैं ,उसमे निरंजनी अखाड़े की बड़े अखाड़ों में पहचान है,शैव परंपरा के निरंजनी अखाड़े के करीब 70 फीसदी साधु-संतों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है. इसमें संस्कृत के विद्वान और आचार्य भी हैं. निरंजनी अखाड़े की हमेशा एक अलग छवि रही है,
मकर संक्रांति को डॉ. सुमनभाई जी का होगा महामण्डलेश्वर पट्टाभिषेक,अखाड़ों के महामंडलेश्वरों व संत जनों की उपस्थिति में आयोजित होगा ।
इन सबके बीच में संत समाज एवं सांसारिक समाज में कई प्रश्न उठ रहे हैं, क्या कोई सांसारिक जीवन मे रहते हुए महामंडलेश्वर बन सकता है ?, क्या कोई अपने सांसारिक जीवन के कर्तव्यों का निर्वहन करे बगैर या उसे अधूरा छोड़ते हुए महामंडलेश्वर बन सकता है?, क्या ऐसे किसी व्यक्ति को महामंडलेश्वर बनाया जा सकता है क्या कहती है अखाड़ों की परंपरा।
महामंडलेश्वर बनने के लिए ज़रूरी योग्यता
• व्यक्ति में वैराग्य होना चाहिए
• संन्यास होना चाहिए
• न घर-परिवार और न ही पारिवारिक संबंध होने चाहिए
• आयु का कोई बंधन नहीं
• संस्कृत, वेद-पुराणों का ज्ञान ज़रूरी, कथा कहें, प्रवचन दें
• कोई व्यक्ति या तो बचपन में अथवा जीवन के चौथे चरण यानी वानप्रस्थाश्रम में महामंडलेश्वर बन सकता है.
• अखाड़ों में परीक्षा ली जाती है
उपरोक्त नियम और योग्यता के आधार पर अखाड़ों में महामंडलेश्वर की उपाधि दी जाती है यहां सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे हैं क्योंकि इससे पूर्व में भी कई लोगों को महामंडलेश्वर की उपाधि नियम विरुद्ध दी गई।
अखाड़ों के महामंडलेश्वर से जुड़े दो विवाद सामने आए. पहला मामला विवादों में घिरी राधे मां का है जिन्हें जूना अखाड़े ने महामंडलेश्वर नियुक्त किया था. दहेज प्रताड़ना के मामले में उनका नाम आने के बाद उनका यह पद विवाद में आया.
दूसरा मामला सचिन दत्ता का है जिनके बारे में बताया गया कि वह ग़ाज़ियाबाद में कथित तौर पर बीयर बार चलाने और ज़मीन की ख़रीद-फ़रोख़्त का कारोबार करते हैं. सचिन दत्ता को पहले महामंडलेश्वर बनाया गया था लेकिन बाद में इस फ़ैसले को रद्द कर दिया गया.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाड़ा के महंत रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि संत डॉ सुमन भाई 14 जनवरी को सन्यास धारण करेंगे और उसके पश्चात 15 तारीख को उनका महामंडलेश्वर के रूप में पट्टा अभिषेक किया जाएगा।
श्री मौनतीर्थ पीठ के पीठाधीश्वर संतश्री डॉ. सुमनभाई जी च्मानस भूषणज् का महामण्डलेश्वर पट्टाभिषेक समारोह मकर संक्रांति १५ जनवरी को आयोजित किया जा रहा है , पंचायती अखाड़ा श्री निरंजन द्वारा श्री मौनतीर्थ पीठ, गंगाघाट, उज्जैन में प्रात: ११ बजे से आयोजित इस भव्य समारोह में देशभर के अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर एवं संतजनों के साथ ही मालवा प्रांत के संघ प्रचारक श्री बलिराम पटेल व उड़ीसा के राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल जी, राष्ट्रवादी विचारक के.एन. गोविंदाचार्य जी, भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय, कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुरेश पचौरी, मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, सांसद अनिल पिफरोजिया, विधायक श्री पारस जैन, रामलाल मालवीय आदि मुख्य रूप से शामिल होंगे,निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी संन्यास दीक्षा की विधि सम्पन्न करवाएंगे। 15 जनवरी को सभी अखाड़ों की उपस्थिति में पट्टाभिषेक एवं चादर विधि सम्पन्न होगी।
क्या है निरंजनी अखाड़े का इतिहास
निरंजनी अखाड़े के नरेंद्र गिरी जी महाराज ,अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के 2016 के सिंहस्थ के अध्यक्ष थे,और वर्तमान में रवींद्र पूरी जी महाराज हैं , ,निरंजनी अखाड़ा की स्थापना सन् 904 में विक्रम संवत 960 कार्तिक कृष्णपक्ष दिन सोमवार को गुजरात की मांडवी नाम की जगह पर हुई थी,महंत अजि गिरि, मौनी सरजूनाथ गिरि, पुरुषोत्तम गिरि, हरिशंकर गिरि, रणछोर भारती, जगजीवन भारती, अर्जुन भारती, जगन्नाथ पुरी, स्वभाव पुरी, कैलाश पुरी, खड्ग नारायण पुरी, स्वभाव पुरी ने मिलकर अखाड़ा की नींव रखी. अखाड़ा का मुख्यालय तीर्थराज प्रयाग में है, उज्जैन, हरिद्वार, त्रयंबकेश्वर व उदयपुर में अखाड़े के आश्रम हैं,।
बहर हाल मोनी तीर्थ के संत डा सुमन भाई वर्तमान में पूर्ण संत नहीं है वह सांसारिक जीवन से भी जुड़े हुए हैं इनका भी एक परिवार है जिसमें पत्नी और 4 बच्चियां है जिनमें से 3 बच्चियों की शादी हो चुकी है और एक बच्ची की शादी होना बाकी है , इन सबके बीच डा सुमन भाई अपनी बच्ची और पत्नी को छोड़कर सन्यासी जीवन को अपनाने जा रहे हैं और सन्यास लेने के 1 दिन बाद उन्हें महामंडलेश्वर बनाया जाएगा।