नए साल के पहले एक बार फिर दूध के दाम 2 प्रति लीटर बढ़ गए। 1 साल में सातवीं बार दूध के रेट बढ़े हैं। गरीब और अमीर सभी दूध लेते हैं। इसमें गरीबों की संख्या सबसे ज्यादा है। इसके बाद भी केंद्र एवं राज्य सरकारों को दूध के दाम बढ़ने पर कोई चिंता नहीं है। इसका एक ही मतलब निकाला जा रहा है कि जनता महंगाई को अब स्वीकार करने लगी है। महंगाई चुनाव में अलोकप्रियता का मुद्दा नहीं रहा। दूध के दाम बढ़ने से यदि जनता में नाराजगी होती तो वह सड़कों पर नजर आती। लेकिन जनता मूल्य वृद्धि को जिस हर्षोल्लास के साथ स्वीकार कर रही है। उससे सरकारों की बहुत बड़ी राहत मिल गई है।