पू.मा.वि. रघुनाथपुरा , पनारी , जिजयावन, सिंगेपुर सहित अनेकों विद्यालयों मे आयोजित हुए कार्यक्रम
ललितपुर (उ.प्र.) – भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार इस साल से विख्यात तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती के जन्म दिवस को ‘भारतीय भाषा दिवस उत्सव’ के रूप में मानने का निर्णय लिया था इसीके अंतर्गत जनपद के समस्त विद्यालयों मे मनाया गया । पूर्व माध्यमिक विद्यालय रघुनाथपुरा मे आयोजित कार्यक्रम मे विज्ञान के अध्यापक मो. मुनीर ने भारतीय भाषा उत्सव दिवस के विषय मे बच्चों को बताया कि भारत विविधताओं का देश है। बहुरंगी भौगोलिक, सांस्कृतिक, खान-पान, रहन-सहन, आस्था, मान्यताओं की विविधताओं में भाषा भी एक मुख्य अवयव है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित भारतीय भाषा समिति की अनुशंसा पर तमिल महाकवि सुब्रमण्यम भारती के जन्म दिवस 11 दिसंबर को सरकार ने इस वर्ष से ‘भारतीय भाषा दिवस’ उत्सव के रूप में मनाने का फैसला किया है। उत्तर-दक्षिण के सेतु नाम से विख्यात सुब्रमण्यम भारती ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपनी लेखनी से जनमानस को आंदोलन के लिए प्रेरित किया था। तमिलनाडु व वाराणसी में शिक्षा ग्रहण करने वाले महाकवि ने राष्ट्रवाद की भावना से ओत-प्रोत ज्वलंत गीत रचे। शिक्षिका श्रीमती उर्वशी साहू ने बच्चों को बताया की इस उत्सव से हर भारतीय में स्वभाषा के साथ दूसरी भारतीय भाषाओं की समझ, उनके प्रति सम्मान और उन्हें सीखने की ललक बढ़ेगी। भारतीय भाषा समिति का मानना है कि ‘बहुभाषावाद को मजबूत करने के लिए, लोगों को अधिक भाषाएं सीखने हेतु प्रोत्साहित करने एवं विविधता में एकता का अनुभव कराने के लिए इसे भारतीय भाषा उत्सव के रूप में मनाना आवश्यक है।’ बतौर यूजीसी, ‘अपनी मातृभाषा में महारत हासिल करने के अतिरिक्त अधिकाधिक भारतीय भाषाएं सीखने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने की आवश्यकता है। पड़ोसी भाषा के प्रति सम्मान एवं उससे ज्ञानार्जन हेतु तदानुसार दृष्टिकोण एवं योग्यता विकसित करने हेतु ‘भाषा सद्भाव’ की आवश्यकता है।’ भाषा के नाम पर समाज व देश को तोड़ने के कुत्सित प्रयासों के बीच भाषा दिवस सद्भाव बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। भाषा के संदर्भ में ऋग्वेद कहता है-
सक्तुमिव तितउना पुनन्तो यत्र धीरा मनसा वाचमक्रत।
अत्रा सखाय: सख्यानि जानते भद्रैषां लक्ष्मीनिर्हिताधिवाचि।।
अर्थात् धीर पुरुष वाणी को चलनी में छने हुए सत्तू के समान रच कर उच्चारित करते हैं। उनकी वाणी में उनका सख्य भाव ज्ञात होता है। उनकी वाणी में लक्ष्मी (पवित्र गुण) प्रतिष्ठित होती है। कबीर ने कहा है- ‘संस्कीरत है कूप जल, भाखा बहता नीर।’ संस्कृतज्ञ होने के बावजूद महाकवि तुलसीदास ने हिंदी की पोषक बोली अवधी एवं ब्रज भाषा में काव्य सृजन किया। विद्वानों का मानना है कि कि ब्रह्मांड की वस्तुगत वास्तविकता को भाषा के माध्यम से पूर्णरूपेण समझा और अभिव्यक्त किया जा सकता है। बृहदारण्यक उपनिषद्, शतपथ ब्राह्मण और व्याकरणविद् भर्तृहरि ने भाषा-विचार तथा शब्दों व वस्तुओं के मध्य संबंध पर प्रकाश डाला है।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय पानारी मे इंचार्ज प्रधानाचार्य जाकिर खान के निर्देशन मे बच्चो ने चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लिया जिसमें यशिका साहू प्रथम आयुष झाँ द्वित्तिय और ऋषि राजा तृतीय स्थान प्राप्त किया। प्राथमिक विद्यालय (इंग्लिश मीडियम) मे प्रधानाचार्य आदर्श रावत , रिया जैन , अपूर्वा रायसिंह
मिथलेश प्राथमिक विद्यालय सहरिया बस्ती पनारी मे चंद्रप्रभा जैन , परवीन बेगम , दीपारानी , इंदु एवं जिजयावन के पूर्व विद्यालय विद्यालय मे अभिलाषा चौधरी के निर्देशन मे अनेकों कार्यक्रम को आयोजित किया गया एवं उपस्थित बच्चों को अपनी मातृभाषा के महत्व से परिचित कराया गया ।